Categories: हिमाचल

क्या भूख़ के कारण शिमला से ग़ायब हुए बंदर?

<p>प्रधानमंत्री ने देशभर में 21 दिन के लॉकडाउन का ऐलान किया है और इससे लोगों को अपने घरों में ही रहना पड़ रहा है। ऐसे वक्त में पक्षियों और पशुओं को किन दिक्कतों को सहना पड़ रहा होगा इस बारे में गिप्पी की पंक्तियां दिल को छूने वाली हैं।</p>

<p>&#39;असि पशु ते पक्षी बोल रह, पला सुख तां है&hellip;क्यूं लोक कुंडे नई खोल रह, पला सुख तां है. सुन्ना सुन्ना साफ़ आसमान है&hellip;चुप चापीता, भयभीत इंसान है&hellip;पला सुख पे है&hellip;&#39;शिमला में हर जगह दिखाई देते थे बंदर लेकिन, इसके उलट शिमला के नागरिक जो कि सालों से बंदरों से परेशान हैं और इसके एक स्थायी समाधान की मांग कर रहे हैं, वे काफी हैरान हैं। लॉकडाउन के ऐलान के बाद से ही शिमला के सारे बंदर अचानक से कहां गायब हो गए?</p>

<p>ज्यादातर सड़कें, बाजार, रिज और माल रोड जैसी खुली और व्यस्त जगहें पूरी तरह से सुनसान पड़ी हैं। साथ ही शहर में बंदर भी कहीं नहीं दिखाई दे रहे हैं। कुछ बंदर रेजिडेंशियल इलाकों में उछल-कूद मचाते ज़रूर दिख रहे हैं, लेकिन ये भी कमजोर और निष्क्रिय नजर आ रहे हैं। शायद ये भूखे भी हैं। सड़कों पर घूमने वाले कुत्ते हालांकि माल रोड और दूसरी खुली जगहों पर कब्जा करके बैठे हुए हैं लेकिन बंदर पूरी तरह से इलाक़ा छोड़कर जा चुके हैं और शायद वे अपनी तरह के एक आइसोलेशन में चले गए हैं।</p>

<p>शिमला के मशहूर जाखू मंदिर में भी बंदर कहीं नहीं दिखाई दे रहे हैं। इस जगह पर बड़ी संख्या में बंदर पाए जाते थे। जाखू मंदिर में 108 फुट ऊंची हनुमान जी की प्रतिमा है। शहर में कर्फ़्यू के चलते मंदिर को बंद करने के आदेश दे दिए गए हैं और लोग दर्शन के लिए यहां नहीं आ रहे हैं। ऐसे में बंदर भी यह जगह छोड़कर चले गए हैं।</p>

<p><span style=”color:#e74c3c”><strong>खाने की कमी के चलते बंदरों ने छोड़ा शिमला</strong></span></p>

<p>एक पूर्व इंडियन फॉरेस्ट सर्विसेज (आईएफ़एस) ऑफिसर डॉ. कुलदीप तंवर बंदरों की संख्या कम करने के लिए एक पॉलिसी बनाने की मांग कर रहे हैं। तंवर बताते हैं कि बंदरों के शिमला छोड़कर जाने के पीछे कुछ वजहें हैं। वह कहते हैं कि बंदरों ने खाने की तलाश में शिमला छोड़ दिया है और अब वे नए इलाकों में जा रहे हैं जहां उन्हें खाना मिल सके। इनमें शिमला से लगे हुए गांव और जंगल शामिल हैं।</p>

<p>हिमाचल प्रदेश किसान सभा के प्रेसिडेंट डॉ. तंवर कहते हैं, &quot;शहरी कस्बों में कचरे के डिब्बे बंदरों के खाने-पीने की पहली जगह होते हैं। दूसरा, टूरिस्ट्स इन्हें खाना देते हैं. शॉपिंग के इलाक़े और आबादी वाले रिहायशी इलाके भी इनकी पसंदीदा जगहों में होते हैं। इसके अलावा, धार्मिक स्थल, मंदिरों में भी इन्हें खाना-पीना मिल जाता है। लॉकडाउन के बाद से बंदरों ने अपनी अकल लगाई और खाने की तलाश में दूसरी जगहों पर चले गए।&quot;</p>

<p>पुराने शिमला के रहने वाले प्रताप सिंह भुजा कहते हैं &quot;उन्होंने पाया है कि बंदर मुख्य क़स्बे के इलाक़े से तक़रीबन गायब हो गए हैं। दिन में एकाध बंदर दिखाई देता है, लेकिन इनके बड़े झुंड अब नदारद हैं।&#39;</p>

Samachar First

Recent Posts

लेह-दिल्ली रूट पर एचआरटीसी की बस सेवा बंद, जून 2025 तक बहाल होगा रूट

  अब यात्रियों को मनाली-केलांग-लेह के बीच टैक्सियों में मंहगा सफर करना पड़ेगा Shimla :एचआरटीसी…

12 hours ago

चिकन की दुकानों में स्वच्छता के नियम दरकिनार

  Hamirpur:जिला खाद्य सुरक्षा विभाग द्वारा किए गए चिकन की दुकानों के निरीक्षण में स्वच्छता…

13 hours ago

रैगिंग के आरोपी विद्यार्थी की बिना वारंट के होगी गिरफ्तारी, हो सकती है तीन साल की सजा

  Hamirpur:होटल प्रंबधन संस्थान (आईएचएम) हमीरपुर की एंटी रैगिंग समिति की बैठक वीरवार को संस्थान…

13 hours ago

कोट और मटाहणी स्कूल की छात्राओं को समझाया तनाव प्रबंधन

  Hamirpur: महिला एवं बाल विकास विभाग ने वीरवार को राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला कोट…

13 hours ago

लक्ष्य तय करें और उसके लिए कड़ी मेहनत करें

एसडीएम संजय स्वरूप ने बाहनवीं स्कूल के विद्यार्थियों को दी नसीहत महिला एवं बाल विकास…

13 hours ago

Nahan: NSUI ने दिल्ली गेट के समीप फूंका मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू का पुतला

नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के खिलाफ बीजेपी के मंत्री ने की थी बयान बाजी मंत्री…

15 hours ago