7-8 नवंबर को धर्मशाला में होने वाली ग्लोबल इन्वेस्टर मीट से पहले सरकार अलग अलग क्षेत्रों में इन्वेस्टर के साथ एमओयू कर रही है। इसी कड़ी में बुधवार को मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की मौजूदगी में सरकार ने ऊर्जा क्षेत्र का मिनी कॉन्क्लेव का आयोजन किया। इस दौरान सरकार ने ऊर्जा के क्षेत्र में इन्वेस्टर के साथ 26 हजार 812 करोड़ रुपये के दस एमओयू साइन किए। जिनमें 2 एनटीपीसी,1 एनएचपीसी और 7 एमओयू एसजेवीएन के साथ साइन हुए। इसमें 25 हजार 772 करोड़ के एमओयू हाइड्रो पॉवर और 1,040 करोड़ के एमओयू सोलर पॉवर के क्षेत्र में साइन हुए हैं।
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि हाइड्रो सेक्टर को छोड़कर इन्वेस्टर जा रहे थे लेकिन सरकार ने निर्णय लिया कि इस सेक्टर को आगे बढ़ाने के लिए कुछ फैसले लेने होंगे जो सरकार ने लिए और आज नतीजा सबके सामने है। सरकार ने जो एमओयू साइन किये उससे प्रदेश में 2927 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा और 13,215 लोगों को इन प्रोजेक्ट में रोजगार मिलेगा। प्रधान सचिव ऊर्जा प्रबोध सक्सेना ने बताया कि कुछ प्रोजेक्ट जो 15 साल पहले अलॉट किये गए थे। लेकिन उनमें काम नही हो पाया था लेकिन अब एमओयू साइन होने के बाद इन प्रोजेक्ट पर काम शुरू हो जाएंगे।चिनाव बेसिन में औऱ प्रोजेक्ट को शुरू करने की इन्वेस्टर मांग कर रहे हैं जिस पर सरकार विचार कर रही है। 648 मेगा वाट की बिजली उत्पादन में इस साल में वृद्धि हो जाएगी।
हिमाचल प्रदेश देश भर में मोस्ट कन्ज्यूमर फ्रेंडली राज्य है और ऊर्जा प्रदेश की आर्थिकी का मुख्य साधनों में से एक है।प्रदेश सरकार ने हाइड्रो पॉवर पालिसी 2006 में बनाई थी। हाइड्रो पॉवर के दोहन की प्रदेश में 23,500 मेगा वाट की क्षमता है जिसने साढ़े दस हजार मेगा वाट का दोहन कर लिया है और 2300 मेगावाट के प्रोजेक्ट निर्माणाधीन है जबकि साढ़े आठ हजार मेगावाट के प्रोजेक्ट अंडर क्लेरेंस और 1900 मेगा वाट के प्रोजेक्ट अलॉट होने के लिए पाइप लाइन में हैं। ऊर्जा क्षेत्र से हिमाचल प्रदेश को 2018-19 में 1212 करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ जबकि इस वर्ष सितंबर तक 678 करोड़ रुपये का राजस्व मिला है।
वंही, इस दौरान मुख्यमंत्री ने 5 मेगा वाट तक के बिजली प्रोजेक्ट को लगाने के इच्छुक इन्वेस्टर के गाइडलाइंस और हिमऊर्जा के सोलर रूफ टॉप की ग्रिड से कनेक्टिविटी के लिए ऑनलाइन पोर्टल का लॉच भी किया।