नगर निगम शिमला की सत्ता तो बदल गई है लेकिन शिमला के हालात है की बदलने का नाम नहीं ले रहे है। पानी के जिस सबसे बड़े मुददे को लेकर नगर निगम शिमला की सत्ता में बीजेपी ने कब्ज़ा किया है। लेकिन शिमला की जनता आज भी पानी समस्या से जूझ रही है। दिसंबर 2015 में जब शिमला में पीलिया फैला उस वक़्त से लेकर राजधानी शिमला पानी के लिए तरस रही है।
वहीं, CPIM के पूर्व मेयर रहे संजय चौहान का कहना है की सबसे हैरानी की बात तो ये है की पहले जब नगर निगम शिमला को हर दिन 30 से 35 mld पानी हर दिन मिलता था उस वक़्त भी शिमला शहर को हर दिन पानी की सप्लाई होती थी। लेकिन आज जब 46 व 48 mld पानी हर रोज नगर निगम को मिल रहा है तब भी पानी की राशनिंग का क्या औचित्य है समझ नहीं आ रहा है। जबकि शिमला को हर दिन 40 से 42 एमएलडी पानी की जरुरत हर दिन पड़ती है। ऐसे में बीजेपी शासित नगर निगम लोगों को पानी मुहैया करवाने में नाकाम साबित क्यों हो रहा है ये सबसे बड़ा सवाल है?
चौहान के विपरित नगर निगम उप-महापौर राकेश शर्मा का तर्क पानी को लेकर अजीब है। शर्मा का कहना है कि जब उनके पास जब प्रयाप्त पानी होगा उसके बाद पानी का नियमित वितरण किया जाएगा। अब डिप्टी मेयर को कौन समझाए की जब 40 के बजाए 48 mld पानी निगम को हर दिन मिल रहा है तो वह आगे नियमित पानी की सप्लाई क्यों नहीं दे पा रहे है?