शिमला का ऐतिहासिक रिज मैदान लगातार धंस रहा है। लेकिन नगर निगम शिमला धंसते रिज मैदान को बचाने के लिए आजतक कोई स्थाई नीति नहीं बना पाया है। भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) व पूर्व मेयर संजय चौहान ने रिज मैदान के एक हिस्से के धंसने पर नगर निगम और प्रदेश सरकार के ढुलमुल रवैये की कड़ी निंदा की है। उन्होंने कहा कि रिज मैदान के नीचे 45 लाख लीटर क्षमता का पेयजल भंडारण टैंक है जहां से प्रतिदिन शहर के लगभग 40 प्रतिशत भाग में पेयजल की आपूर्ति की जाती है। यदि समय रहते इसका संरक्षण और जीर्णोद्धार नहीं किया गया तो शहर में बड़ा संकट खड़ा हो सकता है।
पूर्व नगर निगम ने वर्ष 2012 में इसके संरक्षण, जीर्णोद्धार व सौंदर्यीकरण के लिए लोक निर्माण विभाग के आर्किटेक्ट प्लानर के सहयोग से 30 करोड़ रुपए की लागत से एक व्यापक परियोजना तैयार की गई थी। इसका IIT रुड़की से सर्वेक्षण और आंकलन करवाया गया था। IIT रुड़की ने जो अपनी रिपोर्ट दी थी उसमें स्पष्ट किया था कि इस स्थान पर 4 मीटर से 9 मीटर तक मिट्टी है और उसके बाद चट्टान है। इस रिपोर्ट के आधार पर जो परियोजना बनाई गई थी उसमें इस मिट्टी को उठाकर चट्टान पर एक शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, पार्क व सैरगाह तैयार करने की योजना बनाई गई थी। लेकिन तत्कालीन सरकार द्वारा इसकी स्वीकृति प्रदान नहीं की गई। आज भी इस परियोजना की फ़ाइल नगर निगम के पास धूल फांक रही है।
आज बीजेपी शासित नगर निगम और सरकार बने 4 वर्ष हो रहे हैं और शहर के विधायक शहरी विकास मंत्री है। लेकिन कोई काम नहीं हो रहा है। नगर निगम शिमला और सरकार यदि समय रहते रिज मैदान के संरक्षण व जीर्णोद्धार के कार्य को शीघ्र शुरू नहीं करती तो सीपीएम जनता को लामबंद कर सरकार के इस ढुलमुल रवैये के विरुद्ध आंदोलन करेगी।