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शिमला: फीस बढ़ोतरी को लेकर बातचीत करने आए अभिभावक, स्कूल प्रबंधन ने किया गेट बंद, अभिभावकों ने जताई आपत्ति

पी. चंद |

छात्र अभिभावक मंच के बैनर तले दयानंद पब्लिक स्कूल के अभिभावक स्कूल भवन के बाहर एकत्रित हुए और स्कूल की टयूशन फीस में पैंसठ प्रतिशत फीस बढ़ोतरी को वापस लेने की मांग की। फीस पर बातचीत करने के लिए आए अभिभावकों को देखकर स्कूल प्रबंधन ने स्कूल गेट बंद कर दिया। इस पर अभिभावकों ने कड़ी आपत्ति ज़ाहिर की है। उन्होंने स्कूल प्रबंधन को चेतावनी दी कि अगर यह फीस बढ़ोतरी वापस न ली तो प्रबंधन के खिलाफ आंदोलन तेज होगा।

मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा ने कहा है कि सुबह दस बजे अभिभावक स्कूल परिसर के बाहर एकत्रित हुए और स्कूल प्रबंधन से मुलाकात करने की मांग करते रहे परन्तु स्कूल के प्रधानाचार्य व प्रबंधन के अन्य लोग अभिभावकों से नहीं मिले। अभिभावकों के बार-बार आग्रह के बावजूद भी स्कूल प्रबंधन ने मुलाकात व बातचीत करने के बजाए स्कूल गेट को ही बन्द कर दिया। यह पूरी तरह तानाशाही है। 

उन्होंने शिक्षा निदेशक से मांग की है कि वह तुरन्त दयानंद पब्लिक स्कूल के मामले में हस्तक्षेप करें व पांच दिसम्बर 2019 की शिक्षा निदेशालय की अधिसूचना को लागू करवाएं। यह अधिसूचना वर्ष 2019 में जारी हुई थी व इसमें स्पष्ट किया गया था कि वर्ष 2020 व उसके तत्पश्चात कोई भी निजी स्कूल अभिभावकों के जनरल हाउस के बगैर कोई भी फीस बढ़ोतरी नहीं कर सकता है। इसके बावजूद भी डीपीएस स्कूल ने वर्ष 2020 में फीस बढ़ोतरी की। वर्ष 2021 में इस स्कूल ने सारे नियम कायदों की धज्जियां उड़ाते हुए टयूशन फीस में भारी-भरकर बढ़ोतरी करके सीधे पैंसठ प्रतिशत तक फीस बढ़ोतरी कर दी। 

पहली से दसवीं कक्षा तक की प्रतिमाह टयूशन फीस में एक हज़ार रुपये की फीस बढ़ोतरी करके वार्षिक बारह हजार रुपये टयूशन फीस की बढ़ोतरी कर दी गयी। प्लस वन व टू में प्रतिमाह एक हज़ार दो सौ पचास रुपये की बढ़ोतरी करके सालाना टयूशन फीस पन्द्रह हज़ार रुपये बढ़ा दी गयी। यह पूर्णतः छात्र व अभिभावक विरोधी कदम है व इसका कड़ा विरोध किया जाएगा। उन्होंने हैरानी व्यक्त की है कि शिक्षा विभाग की नाक तले अंधेरा है व इस से दो सौ मीटर दूर डीपीएस स्कूल में ही शिक्षा विभाग अपने आदेशों को ही लागू नहीं करवा पा रहा है जिसका सीधा मतलब है कि निजी स्कूलों के साथ प्रदेश सरकार की सीधी मिलीभगत है। उन्होंने चेताया है कि अगर यह फीस बढ़ोतरी तीन दिन के भीतर वापिस न ली गयी तो छात्र अभिभावक मंच शिक्षा निदेशालय की ओर कूच करेगा।