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शिमला: प्रतिबंधित सड़कों को लेकर वकीलों के आंदोलन के समर्थन में उतरी शिमला नागरिक सभा

पी. चंद |

शिमला नागरिक सभा ने शिमला शहर की प्रतिबंधित सड़कों पर आम जनता के वाहनों को अनुमति न देने और उन पर की जा रही बेवजह पुलिस कार्रवाई के खिलाफ किये जा रहे अधिवक्ताओं के आंदोलन का पूर्ण समर्थन किया है। नागरिक सभा ने चेताया है कि अगर यह कार्रवाई बन्द न हुई तो अधिवक्ताओं के आंदोलन के साथ ही नागरिक सभा भी आंदोलन में कूद जाएगी। शिमला नागरिक सभा अध्यक्ष विजेंद्र मेहरा ने इस मसले पर प्रदेश सरकार की चुप्पी पर गम्भीर सवाल खड़े किए हैं।

उन्होंने कहा है कि प्रतिबंधित सड़कों के मामले में आम जनता पर प्रशासन,पुलिस व न्यायपालिका द्वारा की जा रही कार्रवाई अनुचित व एकतरफा है। हकीकत यह है कि प्रतिबंधित सड़कों पर कार्रवाई अंग्रेजों की ही साम्राज्यवादी परम्परा व विरासत की निरंतरता है। अगर शिमला शहर के ऐतिहासिक व प्राकृतिक धरोहर की रक्षा के प्रति वास्तव में ही प्रशासन,पुलिस व न्यायपालिका गम्भीर हैं तो फिर इन प्रतिबंधित सड़कों के इर्द गिर्द के मोहल्लों में रहने वालों के सिवाए सब के लिए ये सड़कें प्रतिबंधित होनी चाहिए। आम जनता को ही इन सड़कों पर जाने से क्यों रोका जाए व प्रभावशाली लोगों को ही इन सड़कों पर वाहन दौड़ाने का विशेषाधिकार क्यों दिया जाए।

शिमला शहर की सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहर को समझने की आवश्यकता है। इन प्रतिबंधित सड़कों पर बने भवनों अथवा कार्यालयों से जनता का सीधा वास्ता है। आम जनता को रोज़मर्रा के सरकारी व निजी कामों के लिए इन कार्यालयों अथवा संस्थानों में आना पड़ता है। प्रतिबंधित सड़कों पर आम जनता की गाड़ियों को न जाने देने से जनता को भारी परेशानी झेलनी पड़ रही है। प्रदेश सरकार व विभिन्न विभागों ने जब अपने कार्यालय या संस्थान प्रतिबंधित सड़कों के किनारे स्थापित किये हैं तो फिर उन तक पहुंचने के लिए भी सरकार को उचित प्रावधान करने चाहिए।

आम जनता को इन सभी कार्यालयों व संस्थानों से रोज़ वास्ता पड़ता है परन्तु फिर भी आम जनता को ये प्रतिबंधित सड़कें इस्तेमाल नहीं करने दी जाती हैं। दूसरी ओर पुलिस, प्रशानिक व न्यायपालिकाओं के कार्यालय यहां पर न होने के बावजूद भी उन्हें प्रतिबंधित सड़कों पर गाड़ियां दौड़ाने की खुली इज़ाज़त है। यह अंग्रेजों द्वारा प्रतिपादित साम्राज्यवादी परम्परा व विरासत है जिसे हर हाल में खत्म किया जाना चाहिए। यह जनता पर थोपी हुई तानाशाही है जिसके खिलाफ जनता को सड़कों पर उतरकर इसका करार जबाव देना चाहिए। पिछली नगर निगम ने जब इन प्रतिबंधित सड़कों पर फ्रांस की सरकार के सहयोग से जनता की सुविधा के लिए ट्रैम चलानी चाही व इलेक्ट्रिक टैक्सियों की बात की तो इन प्रतिबंधित सड़कों का हवाला देकर इन आधुनिक कार्यों को रोक दिया गया व अफसर शाही, नौकरशाही, न्यायपालिका आदि के इस्तेमाल के लिए ये सड़कें बेवजह खुली रखी गयी हैं। यह केवल तानाशाही है व साम्राज्यवादी परम्परा का निर्वहन है।