Follow Us:

शिमला में अब हाई-टेक उपकरणों के जरिए होगी पेड़ों की निगरानी

समाचार फर्स्ट |

शिमला शहर में वन भूमि से पेड़ों के कटान पर रोक लगाने के लिए हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार को कड़े कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय करोल न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की खंडपीठ ने वन विभाग को कड़े निर्देश जारी करते हुए कहा है कि नगर निगम शिमला के क्षेत्राधिकार में आने वाले सभी पेड़ों की निगरानी करने हेतु उनकी गिनती के साथ साथ प्रत्येक पेड़ पौधे पर रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन टैग्स (RFID)लगाए जाएं।

कोर्ट ने कहा कि ये पेड़ चाहे सरकारी भूमि पर हों या निजी भूमि पर और चाहे किसी भी प्रजाति के हों। निजी भूमि पर उगे पेड़ों पर टैग्स लगाने की कीमत भूमि मालिक से लेने को कहा गया है। इन टैग्स की मदद से पेड़ की ग्रोथ उसको काटे जाने की निगरानी आसानी से की जा सकेगी। कोर्ट ने शिमला नगर निगम परिधि में जरूरत पड़ने पर सरकारी एजेंसी द्वारा ही निजी अथवा सरकारी भूमि पर पेड़ को काटने के लिए अधिकृत करने के आदेश दिए। कोर्ट ने तीन साल पहले शिमला शहर के सभी पेड़ों की गिनती कर छह माह के भीतर इनकी जानकारी वेबसाइट पर डालने के आदेश दिए थे। परन्तु ऐसा आज तक नहीं हुआ

एनवायर्नमेंटल ऑडिट करने भी आदेश

शिमला शहर में फॉरेस्ट कवर पेड़ों की ग्रोथ जांचने हेतु पर्यावरण, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के साथ मिलकर ड्रोन और सेटेलाइट की मदद से मैपिंग करने के आदेश भी दिए गए हैं। पेड़ों की ग्रोथ जानने हेतु एन्वायर्नमेंटल ऑडिट करने के आदेश भी दिए गए हैं। मामले की पैरवी कर रहे कोर्ट अधिवक्ता देवेन खन्ना ने कोर्ट को बताया कि लोग अपने प्लॉट पेड़ रहित करने के उद्देश्य से पेड़ों को निर्दयता पूर्वक तेजाब डाल कर सुखाते हैं और बरसात के मौसम में इन्हें काटने की इजाजत विभिन्न हथकंडे अपना कर हासिल कर लेते हैं।

कोर्ट ने वन सचिव निगम आयुक्त की कार्यशैली पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि इन्होंने 4 नवंबर 2014 के कोर्ट के आदेशों पर आज तक अमल नहीं किया। अतः इससे उपयुक्त समय पर जरूर निपटा जाएगा। क्योंकि इन्होंने अदालत के आदेशों की अवहेलना की है।