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कई ऐतिहासिक क्षणों का गवाह रहा है शिमला का रिज मैदान

पी. चंद, शिमला |

पहाड़ों की रानी शिमला का दिल कहा जाने वाला रिज मैदान कई ऐतिहासिक क्षणों का गवाह रहा है। जाखू की पर्वत श्रृंखला में बनाया गया रिज मैदान मनोहारी दृश्य प्रस्तुत करता है। रिज मैदान एक व्यापक खुला हुआ स्थान है, जो पश्चिम की ओर स्कैंडल प्वाइंट और पूर्व की ओर लक्कर बाज़ार से जुड़ा हुआ है। इस मैदान के नीचे 10,0000 गैलन क्षमता के पेय-जल टैंक अंग्रेजों द्वारा वर्ष 1880 में निर्मित किए गए थे जहां से आज भी शिमला शहर को पेय-जल की आपूर्ति की जाती है। इन टैंकों का निर्माण सीमेंट से नहीं चूना पत्थर से किया गया।

प्रदेश सरकार के सभी महत्वपूर्ण आयोजन इसी स्थल पर होते हैं। अंतराष्ट्रीय ग्रीष्मकालीन उत्सव भी इसी मैदान पर मनाया जाता है। इसके अलावा सरकार द्वारा आयोजित विभिन्न कार्यक्रम एवं नव-वर्ष की पूर्व संध्या पर स्थानीय समारोहों का भी इस रिज पर आयोजन किया जाता है। भव्य चर्च, वाचनालय राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, स्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, हिमाचल के प्रथम मुख्यमंत्री डॉ यशवंत सिंह परमार सही कई सारे स्टैचू इस प्रसिद्ध जगह की खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं। मौजूदा जय राम ठाकुर सरकार यहां अब पूर्व प्रधानमंत्री स्व अटल बिहारी वाजपेयी की प्रतिमा लगाने के लिए जगह की तलाश कर रहे हैं।

 रिज मैदान से ही स्वर्गीय इंदिरा गांधी इस मैदान से प्रदेश की जनता को संबोधित कर चुके हैं। उन्होंने 25 जनवरी, 1971 को इसी रिज मैदान से हिमाचल प्रदेश को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की घोषणा की थी। साल 1977 में तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री राजनारायण को रिज पर जनसभा करने की इजाजत न देने के कारण राजनारायण ने तत्कालीन मुख्यमंत्री शांता कुमार के खिलाफ बगावत की मुहिम शुरू की थी, जिसके परिणामस्वरूप शांता कुमार को मुख्यमंत्री का पद त्यागना पड़ा था।

प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से लेकर मौजूदा पीएम नरेन्द्र मोदी तक इस मैदान से जनता को संबोधित कर चुके है। पिछले तीन टर्म से हिमाचल के मुख्यमंत्री भी इसी रिज मैदान से पद एवम गोपनीयता की शपथ लेते चले आ रहे है। इस रिज मैदान पर आयोजित जनसभा का सबसे बड़ा लाभ यह है कि संबोधन करने वाले विशिष्ट व्यक्ति की आवाज काफी दूर तक सुनी जा सकती है।