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लॉकडउन में दुकाने बंद, सरदार ने अपनी 11 नई पगडिय़ों को कटवाकर बनवाए मास्क

<p>कोरोना काल में कई ऐसे मूक योद्धा भी हैं। जो जमीनी स्तर पर सही जरूरतमंदों को मदद पहुंचा रहे है। लेकिन कुछ ऐसे भी है जो मदद की बजाय महज फोटो खिंचवाने औऱ उन्हें सोशल मीडिया पर शेयर करके अपनी शेखी बघारने में ज्यादा दिलचस्पी रखते हैं। ताकि उनकी बल्ले बल्ले हो सके।</p>

<p>अब ऐसे ही मूक योद्धा मंडी जिले के एक सरदार हैं। जो पिछले तीन महीनों से लगातार फील्ड में जाकर लोगों की मदद में जुटे हैं।&nbsp; ये शख्स सुंदरनगर उपमंडल के कनैड गांव निवासी सरदार अमरजीत सिंह हैं। इन्होंने जरूरतमंदों को मास्क मुहैया करवाने के लिए अपनी 11 पगडिय़ों की कुर्बानी दे दी।</p>

<p>सिख धर्म में पगड़ी का विशेष महत्व है। बिना पगड़ी के सरदारों की शान नहीं मानी जाती। 5 से 8 मीटर लंबी पगड़ी जब सिर पर बांधी जाती है तो इसे पहनने वाले की पहचान ही कुछ और हो जाती है। इसे सिर का ताज भी कहा जाता है। शायद ही कोई ऐसा होगा अपने सिर के ताज की कुर्बानी देने को तैयार हो।</p>

<p>लेकिन अमरजीत सिंह ने कोरोना काल में एक या दो नहीं बल्कि अपनी 11 नई पगडिय़ों की कुर्बानी दे दी और वो भी इसलिए ताकि जरूरतमंदों को मास्क मुहैया हो सके। इन सुंदरनगर उपमंडल के तहत आने वाले कनैड गांव में इनका घर है। पेशा,सिर्फ और सिर्फ समाज की सेवा करना। अमरजीत सिंह मंडी जिला रैडक्रास सोसायटी के सर्व वॉलंटियर हैं और जब भी प्रशासन को इनकी जरूरत होती है यह उसी वक्त हाजिर होकर अपनी सेवाएं देने लग जाते हैं।</p>

<p>जब कोरोना वायरस का कोहराम मचा और देश को लॉक डाउन किया गया तो उस वक्त मास्क और सेनेटाइजर की बहुत ज्यादा कमी खली। दुकानें बंद थी, कपड़ा उपलब्ध न होने के कारण मास्क बनाना भी मुश्किल था। ऐसे में अमरजीत सिंह ने अपनी 11 नई पगडिय़ों को कटवाकर उनके एक हजार से अधिक मास्क बनाकर जरूरतमंदों को बांटे।</p>

<p>अमरजीत सिंह बताते हैं कि उन्होंने यह मास्क गरीबोंए अपंगों और प्रवासी लोगों को बांटे जो मास्क नहीं खरीद सकते थे। अमरजीत का मास्क बनवाकर लोगों को बांटने का कार्य आज भी जारी है। अब अमरजीत दुकानों से कपड़ा खरीदकर मास्क बनवाकर लोगों में बांट रहे हैं। अमरजीत का कहना है कि जब तक कोरोना का खात्मा नहीं हो जाता तब तक इनका यह अभियान इसी तरह से जारी रहेगा।</p>

<p>अमरजीत सिंह के मास्क अभियान को पूरा किया सर्व की ही एक और वॉलंटियर कुसुम ने। कुसुम भी इसी गांव की रहने वाली है। अमरजीत सिंह की 11 पगडिय़ों को काटकर रातों रात उनके मास्क बनाकर लोगों को मुहैया करवाने में कुसुम ने अपनी अहम भूमिका निभाई। कुसुम बताती हैं कि इस दौर में उन्हें समाज के लिए कुछ करने का मौका मिलाए यह उनके लिए गर्व की बात है। और आगे भी यह अभियान इसी तरह से जारी रखने की बात भी वह कह रही हैं।</p>

<p>अमरजीत सिंह के इस कार्य की क्षेत्र में हर ओर चर्चा है। अमरजीत सिंह समय-समय पर समाज के प्रति अपना योगदान देते रहते हैं। हमीरपुर से मंडी लाते वक्त जब कोरोना के कारण व्यक्ति की मृत्यु हुई थी तो उनके अंतिम संस्कार में भी अमरजीत सिंह ने अन्य साथियों के साथ अहम भूमिका निभाई थी।</p>

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