प्रधान परिषद शिलाई की आपातकालीन बैठक इकाई के अध्यक्ष रमेश चौहान की अध्यक्षता में सम्प्पन हुई। बैठक में दो दर्जनो के करीब सदस्यों ने भाग लिया, तथा प्रदेश विधानसभा स्तर मे विधायक हर्षवर्धन चौहान द्वारा उठाया गया मनरेगा मे धांधलीयो का मुद्दा गरमाया रहा तथा आपत्ति जताई गई है। परिषद ने निंदा करते हुए कहा प्रेस बयान जारी कर बताया कि हर्षवर्धन चौहान एक सुलझे हुए विधायक है, उन्हें शोभा नहीं देता कि वह सरकार को विकास कार्य में खर्च हुए बजट की गलत रिपोर्ट प्रस्तूत करें।
अध्यक्ष रमेश चौहान ने बताया कि प्रदेश विधानसभा सत्र मे खंड में 300 करोड़ का घोटाला बताया है, जो काला झूठ है। शिलाई विकास खंड शिलाई में वितीय वर्ष 2005-06 से अभी तक मनरेगा योजना के अंतर्गत कुल बजट 913224580 रुपये खर्च हूआ है जबकि 14वें वितायोग के तहत पिछ्ले 4 वर्षों मे लगभग 12करोड के विकास कार्य करवाए गए है। इसलिये विधायक को हास्यपद व तथ्यविहीन जानकारी देने से पहले खुद जानकारी रखनी चाहीए। पिछ्ले 15 वर्षों के दौरान 10 वर्ष से अधिक समय हर्ष वर्धन विधायक रहे, यदि इतना अधिक घोटाला हो रहा था तो अपने कार्यकाल मे क्यों मूकदर्शक बने रहे। प्रदेश मुख्यमंत्री ने विजिलेंस जांच के आदेश दिये है,जिससे दुध व पानी अलग अलग हो जाएगा।
अध्यक्ष ने चुटकी लेते हुए कहा है कि विधायक महोदय को पूरी तैयारी करके विधान सभा जाना चाहिए। आज ऑनलाइन रिकॉर्ड है,फ़िर भी सही जानकारी नहीं है तथ्यहीन बातें बोलने से अच्चा क्षेत्र की ज्वल्ल्ंत समस्याओं विधानसंभा सत्र मे रखते, क्षेत्र के विकास की बात रखते तो जनता आहत न होती, दालभात की राजनीति छोड़कर विकास के मुद्दे की बात करनी चाहिए, पिछले 6 माह से शिलाई में तहसीदार नहीं है। विभिन्न विभागों में अधिकारी, कर्मचारीयों के सेकडों पद रिक्त पड़े हैं जो कहना चाहीए वह भुल गए हैं तथा विकास्तमक कार्यों मे खर्च किये गए बजट को रिकार्ड से तीन गुना अधिक बता दिया है।
आश्चर्य यह है इतना पैसा जब खर्च नहीं हुआ तो घोटाला कैसे हो गया है, यदि फ़िर भी हूआ है तो हर्ष वर्धन चौहान इससे पहले के अपने कार्यकाल व प्रदेश मे कांग्रेस की सरकार के समय क्यूं भ्रष्टाचार करवाते रहे हैं। उस समय क्यूं मामले को नही उठाया गया है यह सब क्षेत्र के लोगो को गुमराह करके राजनिती का नया तरीका नजर आ रहा है जिसकी प्रधान प्रशाद कडी निन्दा करती है।