हिमालयन नेशनल पार्क में स्नो लेपर्ड यानी बर्फानी तेंदुए संरक्षित हो रहे हैं। पार्क में पिछले माह लगाए गए सीसीटीवी में इसकी हलचल कैद हुई है। हालांकि अभी विभाग ने एक ही क्षेत्र के कैमरे को खंगाला है और उसमें बर्फानी तेंदुआ दिखा है। ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क में अरसे से बर्फानी तेंदुए की मौजूदगी के सुबूत मिल रहे थे। इस बात को पुख्ता करने के लिए वन विभाग ने नेचर कंजरवेशन फाउंडेशन के साथ मिलकर 50 सीसीटीवी कैमरे पार्क के अलग-अलग क्षेत्रों में लगाए थे।
जुलाई के पहले सप्ताह में तीर्थन वैली में लगाए गए कुछ कैमरों की जांच की गई तो उसमें बर्फानी तेंदुए की हलचल कैद हुई। तीर्थन घाटी सहित सैंज, जीवानाग, खीर गंगा क्षेत्रों में ये सीसीटीवी कैमरे लगाए हैं। बता दें कि बर्फानी तेंदुए 3500 से 4000 मीटर की ऊंचाई पर रहते हैं पर कई बार बर्फबारी के दौरान निचले क्षेत्रों में भी आ जाते हैं। जिस क्षेत्र में बर्फानी तेंदुआ सीसीटीवी कैमरे में दिखा है, वे 3000 मीटर के आसपास की ऊंचाई का बताया जा रहा है।
विभाग सभी फुटेज खंगालने के बाद यह जांच करेगी कि यह एक ही बर्फानी तेंदुआ है या अलग-अलग हैं। बर्फानी तेंदुआ लाहुल-स्पीति जिला की स्पीति घाटी में पाया जाता है। यहां इनकी संख्या 15 से 20 तक आंकी गई है। एक विशेष प्रोजेक्ट के तहत इन पर निगरानी रखी जा रही है। भारत के अलावा यह जम्मू-कश्मीर, अफगानिस्तान, पाकिस्तान के ऊंचाई वालों क्षेत्रों में मिलता है।
गौर रहे कि बर्फीले तेंदुए विलुप्त हो रहे हैं और यह जानवर हिमाचल का राज्य पशु भी है। दुनियाभर में इनकी तादाद बेहद कम रह गई है। इस प्रजाती का अस्तित्व अवैध शिकार और अनुकूल रिहायशी इलाके खत्म होने के चलते खतरे में हैं। 20वीं सदी में हिम तेंदुए का नाम लुप्त प्राय पशुओं की उस लाल पुस्तिका में शामिल कर लिया गया है, जिसे प्रकृति संरक्षण संबंधी अंतरराष्ट्रीय संघ की लाल किताब कहा जाता है।
इसके अलावा इस हिम तेंदुए को रूस और अन्य देशों की भी ऐसी ही लाल किताबों में शामिल किया गया है। सन 2014 में हिम तेंदुओं के शिकार पर पूरी दुनिया में प्रतिबंध लगा दिया गया है।