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सोलन: तपती धूप में खुले में शिक्षा लेने को मजबूर छात्र, 126 बच्चों की जिंदगी दांव पर

<p>कहा जाता है कि बच्चे देश का भविष्य होता है, लेकिन जब उनके ही भविष्य के साथ खिलवाड़ होता तो आश्चर्य जरूर होता है। ताज़ा मामला सोलन का है जिसे शिक्षा का हब भी कहा जाता है। लेकिन शहर से 8 किलोमीटर दूर शिमला NH के साथ लगते स्कूल सलोगड़ा जो कि एक प्राइमरी स्कूल है, और छोटे छोटे बच्चे वहां पड़ रहे हैं। लेकिन वहां का हाल देखकर आपका दिल भी दहल जायेगा कि जर्जर हालत होने के कारण भी स्कूल प्रशासन को बच्चों का जीवन दाव पर रखकर उन्हें पढ़ाना पड़ रहा है। लेकिन स्कूल प्रशासन भी क्या करे आखिर प्रशासन सुध ले तब तो कुछ बात बने।</p>

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<p><span style=”color:#e74c3c”><strong>आइए जानते है क्या मामला है</strong></span></p>

<p>परवाणु से शिमला तक चल रहे फोरलेन के काम मे सलोगड़ा का प्राइमरी स्कूल आ चुका है। जिसे फोरलेन के काम के चलते तोड़ा गया है, और काम चल रहा है। लेकिन अभी तक स्कूल प्रशासन के पास बच्चों को बिठाने के उचित सुविधा नहीं की गई है। आलम यह है कि प्राइमरी स्कूल के बच्चों को जर्जर कमरों में बिठाया गया है। जिनकी हालत बहुत ही नाजुक है और कभी भी कोई भी अनहोनी हो सकती है।</p>

<p>वहीं SMC के प्रधान कमल का कहना है कि पिछले 3 महीनों से सलोगड़ा प्राइमरी स्कूल के बच्चे धूप में बैठकर पढ़ाई कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि 126 बच्चों की जिंदगी दाव पर लगी है। अगर फोरलेन के काम मे स्कूल बिल्डिंग आ रही थी तो प्रशासन को चाहिए था कि वो बच्चों को बैठने की उचित सुवीधा कराए। लेकिन सरकार और प्रशासन इसकी तरफ सुध नही ले रहा है। उन्होंने DC सोलन को इस बारे में ज्ञापन सौंपा है और गुहार लगाई है कि इस बारे में कोई उचित कदम उठाया जा सके, ताकि बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ ना हो।</p>

<p>वहीं दूसरी तरफ बच्चों के अभिभावकों का कहना है की स्कूल की हालत बहुत खराब है और बच्चों का ऐसे स्कूल में बैठना खतरे से खाली नही है। उन्होंने कहा की प्रशासन न तो इसकी तरफ ध्यान दे रहा है ना ही सरकार, और जो कमरे मुहैया करवाये गए हैं उनकी हालत भी नाजुक है। उन्होंने कहा कि बच्चों को बाहर धूप में पढ़ाया जा रहा है जिससे आये दिन बच्चे बीमार हो रहै हैं। उन्होंने कहा कि आने वाला मौसम बरसात का है और अगर ऐसा ही हाल रहा तो बच्चों का स्कूल आना बंद कर देंगे।</p>

<p>बता दें कि स्कूल सड़क के साथ है ऊपर से कभी भी पत्थर उपर से गिरकर किसी बड़ी अनहोनी को दावत दे सकते है। वहीं कुछ बच्चों के परिजनों ने कहा कि उन्हें हर दिन यहीं चिंता सताती रहती है कि उनका बच्चा कब घर आयेगा। उन्होंने कहा कि हमेशा यही डर सताता रहता है कि उनके साथ कोई अनहोनी ना घट जाए। वहीं उन्होंने कहा कि अगर कल को कोई दुर्घटना घटती है तो इसकी जिम्मेदार सरकार और प्रशासन होगा।</p>

<p>अब सवाल ये उठता है कि अगर किसी बड़े अधिकारी का बच्चा इस स्कूल में पड़ता तो क्या तब भी इस मामले को इसी तरह से नजरअंदाज किया जाता। अब देखना होगा की सरकार और प्रशासन इसकी तरफ कब ध्यान देता है। क्योंकि जहां एक तरफ देश मे बच्चों के उज्जवल भविष्य की बात की जाती है। वहीं दूसरी तरफ उनकी जिंदगी के साथ खिलवाड़ हो रहा है।</p>

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