अटल बिहारी वाजपेयी बेशक पूरे देश के लिए प्रधानमंत्री थे, लेकिन हिमाचल के लिए वे अभिभावक की तरह रहे। यही वजह है कि सक्रिय राजनीतिक छोड़ने के बाद पूर्व प्रधानमंत्री ने कुल्लू के प्रीणी को अपना घर बनाया। वह ज्यादातर समय यही पर ही रहना पसंद करते थे। यहां के सौंदर्य और बर्फ से लदी पहाड़ियों पर उन्होंने कविताएं भी लिखी है। शाइनिंग इंडिया अभियान असफल होने के बाद जब वाजपेयी मनाली के प्रीणी स्थित अपने घर आए, तो हमेशा की तरह स्कूली बच्चों से मिले। बच्चों ने कुछ मांगें उनके समक्षी रखीं। वाजपेयी ने 15 हजार रुपये ये कहते हुए दिए कि अभी इतने ही हैं, क्योंकि हाल ही तुम्हारे ‘मामा’ की नौकरी चली गई है।
हिमाचल से जुड़े अटल जी के कुछ पहलू
1. हिमाचल में अपना घर मानते थे अटल बिहारी वाजपेयी
2. मनाली में बच्चे उन्हें मामा कहकर पुकारते थे
3. रोहतांग टनल पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी की देन है
4. लाहौल के अपने दोस्त टशी दावा को दिया वचन पूरा किया था। 1942 में पहली बार हुई थी दोनों की दोस्ती, आरएसएस के प्रशिक्षण शिविर में हुई दोस्ती थी। दोनों की दोस्ती को कुल्लू-मनाली में कृष्ण-सुदामा की संज्ञा दी गई।
5. 2006 के बाद अटल जी मनाली नहीं आ पाए , अटल बिहारी वाजपेयी दिल्ली की थकान मिटाने के लिए मनाली आते थे।
6. कारगिल युद्ध के समय 10 दिन के लिए सरकार मनाली से चलाई थी।
7. अटल बिहारी वाजपेयी पहली बार 1962 में मनाली आए थे , 1990 में मनाली के प्रीणी में आशियाना बनाया था।
8. अटल जी 1999 में पार्वती परियोजना का नींव पत्थर रखने कुल्लू के सैंज पहुंचे थे। तब हिमाचल को 400 करोड़ रूपये का आर्थिक पैकेज दिया था।
9. शाइनिंग इंडिया अभियान विफल होने पर हिमाचल आए थे। अटल जी ने हिमाचल को 2003 में औद्योगिक पैकेज दिया था। जिसे यूपीए सरकार ने 2010 में खत्म कर दिया था।
10. 1999 में वाजपेयी पार्वती विद्युत परियोजना का शिलान्यास करने कुल्लू के मणिकर्ण आए। तब धूमल मुख्यमंत्री थे और प्रधानमंत्री को रिसीव कर चंडीगढ़ से कुल्लू लाए। वहीं रैली शिमला के रिज मैदान पर हुई तो यहां भी 100 करोड़ दे गए। खास बात यह भी है कि वाजपेयी जब तक प्रधानमंत्री रहे, हिमाचल में कांग्रेस या बीजेपी हर सरकार को उनका स्नेह मिला।