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‘फर्जी डिग्री मामले को दबाने का प्रयास कर रहे सरकार के कुछ लोग, मामला CBI को सौंपा जाए’

पी. चंद शिमला |

फर्जी डिग्री मामले में नेता प्रतिपक्ष ने सरकार से सवाल किये। मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि मानव भारती विश्वविद्यालय ने फर्जी डिग्रियां देकर लाखों लोगों के भविष्य से खिलवाड़ किया है और प्रदेश सरकार में कौन इस मामले को दबाने का प्रयास कर रहा है। यह मामला शिक्षा के सौदागरों के गोरखधंधों की कहानी है जिन्होंने फर्जी डिग्रियां देकर लोगों को लूटकर करोड़ों रुपये डकार लिए। उच्च स्थानों पर बैठे लोगों के संरक्षण को नकार कर इस विश्वविद्यालय के ख़िलाफ प्रभावशाली एक्शन की जरूरत है। 

प्रतिपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री ने आरोप लगाते हुए कहा कि विश्वविद्यालय की चौथी मंजिल में सिर्फ फर्जी डिग्रियों का ही काम होता था। ऐसे में एक बहुत खतरनाक खेल खेला गया। उन्होंने दलील दी कि हजारों लोग इन फर्जी डिग्रियों के बूते नौकरियां या कारोबार कर रहे हैं। यही नहीं मानव भारती विश्वविद्यालय के संचालक राजस्थान में माधव विश्वविद्यालय भी चला रहे हैं और जब अन्य राज्यों में भी इसका गोरखधंधा फैला हुआ है तो सरकार को इसकी जांच का काम सीबीआई को सौंपना चाहिए था। लेकिन तमाम तथ्य सामने आने के बावजूद भी यह विश्वविद्यालय खुला है। 

उन्होंने कहा कि Ph.D तक की फर्जी डिग्रियां इस संस्थान ने बांटी गई है। कांग्रेस पार्टी ने जब यह मामला विधान सभा में उठाकर वॉकआउट किया तो तत्कालीन शिक्षा मंत्री ने उल्टा कांग्रेस पर हमला कर विश्वविद्यालयों को क्लीन चिट दे दी। लेकिन बाद में परत-दर-परत मामला खुलता गया। अब दो लोग न्यायिक हिरासत में है और आधा दर्जन गिरफ्तारियां हो चुकी हैं। भाजपा शासन में कुमारहट्टी के समीप 30 बीघा जमीन लेकर मानव भारती चैरिटेबल ट्रस्ट शुरू हुआ था। किस व्यक्ति ने इस विश्वविद्यालय की स्थापना करवाई यह भी एक बड़ा सवाल है? 

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि प्राइवेट यूनिवर्सिटी कानून के बाद इन्होंने डमी एडमिशन का साम्राज्य स्थापित किया और पूरे प्रदेश में हजारों एजैंट फर्जी डिग्रियों के लिए रखे गए और रिसेप्शन में ही रजिस्ट्रेशन नम्बर से शुरू होने की बात देखकर भांप लिया जाता था कि यह फर्जी डिग्री का मामला है। एक व्यक्ति ने लैब टैक्निशियन का डिप्लोमा हरियाणा में चलाते हुए हिमाचल में डिग्रियों की दुकान सजा दी। शुरूआत में पकड़े जाने पर यह कहते थे कि ये हमारी डिग्रियां नहीं है। जबकि अब तीन FIR होने पर पूरे गोरखधंधे का खुलासा हो चुका है इसलिए सरकार को इस विश्वविद्यालय की अधिसूचना निरस्त करनी चाहिए।

अग्निहोत्री ने कहा कि विश्वविद्यालय से इसके संचालकों और परिवार के लोगों ने भी कथित तौर पर डिग्रियां हासिल की हैं। और यह ये भी बताते हैं कि इनकी तनख्वाहें भी इसी विश्वविद्यालय से हासिल की जा रही है। प्रदेश में बवंडर मचने पर फर्जी विश्वविद्यालय का सारा रिकॉर्ड राजस्थान के माधव विश्वविद्यालय में तबदील हो गया, जहां छापा पड़ने पर फर्जी डिग्रियां वसूल हुई। भगवान की मूर्तियां और भंडारे लगाकर इस विश्वविद्यालय ने डिग्रियों का जो रैकेट चलाया उसने शिक्षा जगत को शर्मसार किया है। सरकार की ढील की वजह से इसके संचालकों ने सारा पैसा खुर्दबुर्द किया और देश तथा प्रदेश में कई स्थानों पर जमीने खरीदी हैं। इस विश्वविद्यालय के वाहनों पर हिमाचल प्रदेश सरकार अंकित रहता था। इस विश्वविद्यालय की मान्यता रद्द की जाए और इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपी जाए।