लाहौल स्पीति, चंद्रताल, या चंद्र ताल, हिमालय पर लगभग 4,300 मीटर (14,100 फीट) की ऊंचाई पर स्थित एक झील है जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है। उत्तर भारतीय राज्य हिमाचल प्रदेश के लाहौल-स्पीति जिले में, लाहौल और स्पीति घाटियों की सीमा पर कुंजम पास के निकट स्थित चंद्र ताल से चंद्र नदी का उद्गम होता है जो आगे चलकर भागा नदी से मिलकर चंद्रभागा और जम्मू-कश्मीर में जाकर चेनाब कहलाने लगती है। इस झील का आकार अर्धचांद जैसा है, इसलिए इसका नाम चंद्रताल पड़ा यानी चांद की झील।
इस झील से एक पौराणिक किवदंती भी जुड़ी है, माना जाता है कि यह वो स्थान है जहां भगवान इंद्र के रथ ने युधिष्ठिर को उठाया था। जब चारों पांडव स्वर्ग यात्रा के दौरान गिरते चले गए उसके बाद युधिष्ठिर कुछ ही दूर चले थे कि उन्हें स्वर्ग ले जाने के लिए स्वयं देवराज इन्द्र अपना रथ लेकर आ गए। तब युधिष्ठिर ने इन्द्र से कहा कि मेरे भाई और द्रौपदी मार्ग में ही गिर पड़े हैं और वे भी हमारे हमारे साथ चलें, ऐसी व्यवस्था कीजिए। तब इन्द्र ने कहा कि वे सभी पहले ही स्वर्ग पहुंच चुके हैं। वे शरीर त्यागकर स्वर्ग पहुंचे हैं और आप सशरीर स्वर्ग में जाएंगे।
यह एक साफ पानी की झील है, जिसका पानी शीशे की तरह चमकता है और पूरी तरह प्रदूषण मुक्त है। माना जाता है कि झील का यह क्षेत्र कभी स्पीति और कुल्लू जाने वाले तिब्बत और लद्दाखी व्यापारियों का महत्वपूर्ण स्थल हुआ करता था। लेकिन अब यह झील पूरे विश्व को अपनी ओर आकर्षित करती है। यहां साल भर एडवेंचर के शौकीनों का आवागमन लगा रहता है।
यहां आने का सही समय जून से अक्टूबर तक का माना जाता है। यहां सर्दियों के दौरान मौसम काफी प्रतिकूल हो जाता है, और बर्फीले तूफान का खतरा रहता है। सितंबर महीने के दौरान झील की खूबसूरती कई गुणा बढ़ जाती है। यदि आप इस चंद्रताल झील की खूबसूरती का आनंद लेना चाहते है तो आजकल यहां जाने का उचित समय है।