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‘साक्षरता..स्वास्थ्य..और सियासत’! जानिए, 76 साल में कैसे ‘फर्श से अर्श’ तक पहुंचा हिमाचल?

बालकृष्ण सिंह |

15 अप्रैल, 1948 में पंजाब और शिमला के 30 पहाड़ी राज्यों के विलय के बाद अस्तित्व में आए हिमाचल प्रदेश ने अब तक कई मुकाम छुए हैं.. हर क्षेत्र में शून्य से शुरुआत करने वाला हिमाचल आज हर क्षेत्र में आगे है.. सबसे पहले आप सभी हिमाचलवासियों को हिमाचल दिवस की अनंत शुभकामनाएं एवं ढेर सारी बधाईयां.. हिमाचल के इतिहास के बारे में आपने कई बार सुना होगा..
अगर आप गूगल कर लेंगे तो हिमाचल प्रदेश के अस्तित्व का पूरा लेखाजोखा आपके सामने होगा..
लेकिन क्या आपको इस देवभूमि और वीरभूमि की सियासत की कहानी का पता है.. क्या आपको इस प्रदेश की साक्षरता दर के विकास का कोई अनुभव है.. कि सालों पहले हिमाचल प्रदेश कहां था..और आज हिमाचल प्रदेश किस बुलंदी तक पहुंच चुका है.. क्या आपको पता है कि हिमाचल प्रदेश की सियासत में कितना बदलाव हुआ.. क्या आपको पता है कि हिमाचल प्रदेश की आर्थिक स्थिति पहले की बजाय अब कितनी सुधर चुकी है..

1948 में हिमाचल प्रदेश में साक्षरता दर 7 फीसदी थी, जो कि आज 76 साल बाद 82.80 फीसदी तक पहुंच चुकी है.. प्रदेश में 3 एयरपोर्ट हैं, जिनकी 1948 में संख्या शून्य थी.. स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी प्रदेश ने अग्रणी मुकाम हासिल किया है.. शून्य से शुरुआत करने वाले हिमाचल में अब एक एम्स, एक सेटेलाइट पीजीआई सहित पांच मेडिकल कॉलेज, पांच डेंटल कॉलेज, कई नर्सिंग और फार्मेसी कॉलेज हैं.. शिक्षा के क्षेत्र में हिमाचल के पास एक ट्रिपल आईटी, एक आईआईटी, 3 स्वायत इंजीनियरिंग संस्थान और दर्जनों इंजीनियरिंग कॉलेज हैं.. खास बात ये है कि इन संस्थानों में प्रदेश ही नहीं, बल्कि देश के दूसरे राज्यों के छात्र शिक्षा ग्रहण करने आ रहे हैं..

साल 1948 में हिमाचल के लोगों की प्रति व्यक्ति आय 240 रुपये थे, जो कि मौजूदा समय में 2,35,199 रुपये पहुंच चुकी है.. इन आंकड़ों से साफ है कि हिमाचल प्रदेश आर्थिक, शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में सालों पहले कहां था..और आज किन ऊंचाईयों को छूता दिख रहा है.. ये सब कुछ ऐसे ही नहीं हुआ है.. इसमें प्रदेश की हर सियासी पार्टी का हाथ तो है ही, साथ ही यहां के लोगों का भी उतना ही हाथ है..

अगर सियासत की बात करें, तो राजनीतिक तौर पर भी 1948 से लेकर हिमाचल ने लंबी यात्रा तय की है.. प्रदेश ने कई सरकारें देखीं.. जिन्होंने राज्य को आर्थिक निर्भरता की ओर अग्रसर किया है..
पहाड़ी भाषा, भौगोलिक आधार और संस्कृति के दर्शन से हिमाचल की एक अलग पहचान बनाने वाले महान स्वतंत्रता सेनानी और समाज सुधारक यशवंत सिंह परमार 1952 से 1977 तक हिमाचल के पहले मुख्यमंत्री रहे.. ठाकुर राम लाल 1977 और 1980 में दो बार मुख्यमंत्री बने.. शांता कुमार 1977 और 1990 में दो बार ढाई-ढाई वर्ष के लिए सत्ता में रहे..

वीरभद्र सिंह 1985, 1993, 2003, 2012 और 2017 में रिकॉर्ड 6 बार मुख्यमंत्री रहे.. इस बीच 1998 और 2007 में प्रेम कुमार धूमल ने सत्ता संभाली.. 2017 में जयराम ठाकुर मुख्यमंत्री बने..
2023 से ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू सत्ता में हैं.. ऐसे में चाहे कांग्रेस हो या फिर भाजपा.. हर पार्टी का इस राज्य को आगे बढ़ाने में हाथ रहा है..खास तौर पर इन पार्टियों में विकासपुरुष जैसी सोच को लेकर आगे बढ़ने वाले नेताओं का भी योगदान इस राज्य को आगे बढ़ाने में रहा है.. आज देश का सबसे छोटा राज्य हिमाचल प्रदेश उस मुकाम पर है, जहां भौगोलिक कठिनाईयों के बावजूद भी बड़े बड़े राज्यों के जैसी सुख सुविधाएं इस राज्य में उपलब्ध हैं.. तो दोस्तों, आज हिमाचल दिवस के दिन हम सभी हिमाचलवासियों को एक संकल्प ये लेना चाहिए, कि हिमाचल प्रदेश को और बुलंदियों तक ले जाने के लिए हमें हर वो प्रयास करना है..जो प्रदेश हित में हो..