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शिमलाः IGMC में स्टाफ कम मरीज़ ज़्यादा, कैसे होगी 24 घंटे सैंपलिंग

पी.चंद, शिमला |

हिमाचल प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी में मरीजों को कोरोना टेस्टिंग के सैंपल देने के बाद रिपोर्ट के लिए 3 से 4 दिन का इंतजार करना पड़ रहा है। आईजीएससी में दो टेस्टिंग मशीनें है। जिनमें से एक में 90 और दूसरी में 70 सैंपल एक बार में लगते है। सैंपल की रिपोर्ट आने में 3 से 4 घंटे का समय लगता है। ऐसे में एक दिन में 250 से 300 सैंपल की रिपोर्ट ही आ पाती है। जबकि अस्पताल में हर दिन 500 से ज्यादा सैंपल आ रहे है। परिणामस्वरूप लोगों को रिपोर्ट मिलने में 2 से 3 दिन का समय लग रहा है।

आईजीएमसी के प्रधानाचार्य डॉ रजनीश पठानियां ने बताया कि आईजीएमसी में इस समय सबसे ज्यादा दबाव है, यहां पर शिमला, किन्नौर, बिलासपुर के कोविड के सैंपल जांच के लिए आते हैं। ऐसे में यहां पर कोविड मरीजों की सैंपल की रिपोर्ट आने में देरी हो जाती है। स्टाफ की कमी भी सबसे बड़ी समस्या है। जो स्टाफ है वह रात 2 बजे तक भी काम कर रहा है। कोविड से अभी तक आईजीएमसी का 300 के लगभग स्टाफ कोरोना पॉजिटिव हो चुका है। जिनमें से बहुत कम स्टाफ ड्यूटी पर लौटता है। ऐसे में 24 घंटे सैंपलिंग करना मुश्किल कार्य है।


 
कोविड -19 का नेचर भी सभी तक पूरी तरफ सामने नहीं आया है। क्योंकि ज़रूरी नहीं है जो पॉजिटिव आ गया है उसकी एंटीबॉडी बन गई है उसको दोबारा कोरोना नहीं होगा। इसलिए हालात बिगड़ रहे है। आईजीएमसी में शवों को उठाने में मुश्किल आ रही है। यहां तक कि कनलोग श्मशान घाट में भी शवों को जलाने के लिए इंतजार करना पड़ रहा है। आईजीएमसी के अलावा कसौली, नेरचौक मेडिकल कॉलेज, हमीरपुर मेडिकल कॉलेज, नाहन मेडिकल कॉलेज, टांडा मेडिकल कॉलेज और चंबा मेडिकल कॉलेज में आरटीपीसीआर मशीनें लगाई है।