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साहित्यकार यशपाल के जीवन, कृतियों और योगदान पर विशेषज्ञों और साहित्यकारों ने विचार व्यक्त किए

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Yashpal Jayanti Celebration: हमीरपुर में मंगलवार को हिमाचल प्रदेश के महान क्रांतिकारी और साहित्यकार यशपाल की जयंती के उपलक्ष्य में भाषा एवं संस्कृति विभाग द्वारा राज्य स्तरीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम नेताजी सुभाष चंद्र बोस स्मारक राजकीय महाविद्यालय के सभागार में आयोजित हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन और यशपाल को पुष्पांजलि अर्पित करके किया गया।

भाषा एवं संस्कृति विभाग के निदेशक डॉ. पंकज ललित ने कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए कहा कि यशपाल केवल एक महान कहानीकार और उपन्यासकार ही नहीं, बल्कि बहुमुखी प्रतिभा के धनी व्यक्तित्व थे। उनकी कृतियां विभिन्न भाषाओं में अनूदित हुईं और वे साहित्य की एक अमूल्य धरोहर हैं। उन्होंने कहा कि विभाग प्रदेश की महान विभूतियों को याद रखने और उनकी प्रेरणादायक कृतियों को अगली पीढ़ियों तक पहुंचाने के लिए निरंतर कार्य कर रहा है।

कार्यक्रम के पहले सत्र में मुख्य वक्ता जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के पूर्व प्रोफेसर चमन लाल ने “क्रांतिकारी साहित्यकार यशपाल के जीवन में क्रांति और साहित्य का सामंजस्य” विषय पर शोधपत्र प्रस्तुत किया। उन्होंने यशपाल को प्रेमचंद के बाद हिंदी उपन्यास साहित्य का महत्वपूर्ण स्तंभ बताया।

इस अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. सुशील कुमार फुल्ल ने अपने मुख्य भाषण में कहा कि यशपाल की कहानियां पाठकों के अंतःकरण को झकझोरती हैं। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डॉ. हेमराज कौशिक ने यशपाल को हिमाचल प्रदेश के गर्व का प्रतीक बताया। यशपाल के सुपुत्र आनंद यशपाल ने विभाग की सराहना करते हुए कहा कि 1977 से प्रतिवर्ष आयोजित हो रहे इस कार्यक्रम से हिमाचल के लोगों का यशपाल के प्रति स्नेह और सम्मान झलकता है।

दूसरे सत्र में रूपी सिराज कला मंच, कुल्लू ने यशपाल की कहानियों पर आधारित नाटक का मंचन किया। इसके अतिरिक्त, भाषा एवं संस्कृति विभाग की अभिलेखागार शाखा द्वारा हिमाचल के ऐतिहासिक और दुर्लभ अभिलेखों की प्रदर्शनी भी लगाई गई।

कार्यक्रम में साहित्यकार विजय विशाल, डॉ. प्रकाश चंद ठाकुर, रत्न चंद रत्नाकर, और गंगा राम राजी सहित अन्य गणमान्य लोग उपस्थित रहे। इस मौके पर पद्मश्री करतार सिंह सौंखले विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल हुए।