शिमला के गेयटी थियेटर में भाषा एवं संस्कृति विभाग हिमाचल की संस्कृति को दिखाने के लिए 30 अक्तूबर से 1 नवंबर तक तीन दिन के लिए राज्य स्तरीय पहाड़ी दिवस का आयोजन कर रहा है।
आज पहले दिन चोल्टू नृत्य ने समा बांधा वन्ही पारंपरिक लोक वाद्य दल, मुसादा गायन (चंबा), चुराही लोकनृत्य (चंबा), करयाला लोकनाटय (शिमला), नागरी लोकनृत्य (मंडी), हारूल लोक गायन (शिमला, सिरमौर) की प्रस्तुति दी गई।
जिला भाषा अधिकारी अनिल हारटा ने बताया कि तीन दिवसीय पहाड़ी दिवस का आगाज एम्फी थियेटर से चोल्टू देव नृत्य से हो गया है। पहाड़ी दिवस के राज्यस्तरीय कार्यक्रम में पूरे प्रदेश से कलाकारों को आमंत्रित किया गया है। उन्होंने बताया कि 1 नवंबर को हर वर्ष पहाड़ी दिवस मनाया जाता है जिसमें पहाड़ी बोलियाें, लोक साहित्य व लोक संस्कृति को प्रोत्साहन देने के लिए विभिन्न कार्यक्रमाें का आयोजन किया जाता है।
31 नवंबर को सुबह साढ़े 11 बजे गेयटी थियेटर के सम्मेलन कक्ष में लेखक गोष्ठी होगी। कार्यक्रम की अध्यक्षता पद्मश्री विद्यानांद सरैक करेंगे। डॉ. ओपी शर्मा पहाडी भाषा की संवर्द्धक हिमाचली बोलियां विषय पर शोध पत्र प्रस्तुत करेंगे।
उसके बाद प्रदेशभर से लगभग दो दर्जन से ऊपर के पहाड़ी भाषी आमंत्रित विद्वानाें और समीक्षकाें की ओर से शोध पत्र पर परिचर्चा की जाएगी। 1 नवंबर को राज्य स्तरीय पहाड़ी कवि सम्मेलन होगा। कवि सम्मेलन में प्रदेशभर से लगभग 40-50 पहाड़ी भाषी विद्वान अपनी कविताएं पहाड़ी बोली में प्रस्तुत करेंगे।