रेलवे विभाग ने आज सुबह फिर से पपरोला से पालमपुर तक स्टीम इंजन का ट्रायल लिया गया। लेकिन, यह ट्रायल नाकाम रहा। महज 5 किलोमीटर का सफर करने के बाद इंजन ने काम करना बंद कर दिया और हांफ गया। ये इंजन पपरोला से चलाया गया था, लेकिन मैंजा पहुंचने तक इसकी सांसे फूल गई और दूसरे इंजन की सहायता से इसे वापिस पपरोला भेजा गया। इस इंजन के साथ दो डब्बे भी जोड़े गए थे। रेल विभाग के अधिकारियों के अनुसार आज भाप के इंजन का ट्रायल पूरा नहीं हो पाया है अब दो दिन बाद इस इंजन का ट्रायल लिया जायेगा।
गौरतलब है कि रेल विभाग इस इंजन को फिर से चलाना चाहता है ताकि पर्यटकों को आकर्षित किया जा सके और पर्यटन को बढ़ावा मिल सके। यह इंजन बहुत पुराना है और इसका महत्व यह है कि इसमें भाप बनाने के लिए कोयले का इस्तेमाल किया जाता है।
1923 में इस इंजन का निर्माण किया गया था। 1927 तक यह इंजन पठानकोट से जोगिंद्रनगर तक चलाया गया इसके बाद डीजल इंजन आने पर इन को बंद कर दिया गया और कभी कभी जरूरत पड़ने पर ही इसको चलाया जाता था। लेकिन, अब काफी साल बीत जाने के बाद इंग्लैंड के प्रतिनिधियों ने रेलवे विभाग से आग्रह किया था कि इस भाप के इंजनों को फिर से चलाया जाए ताकि बाहर से आने वाले पर्यटक इस इंजन के सफर का लुत्फ उठा सकें और यहां की वादियों का नजारा भी ले सकें। जिससे यंहा के पर्यटन को और अधिक बढ़ाया जा सके।