देशभर में केंद्रीय ट्रेड यूनियनों द्वारा बुलाई गई एकदिवसीय राष्ट्रव्यापी हड़ताल का असर शिमला में भी देखने को मिला जहां बीएमएस को छोड़कर सभी ट्रेड यूनियन ने इस हड़ताल में भाग लिया। हड़ताल में दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ‘इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस (इंटक), ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एटक), हिंद मजदूर सभा (एचएमएस), सेंटर फार इंडियान ट्रेड यूनियंस (सीटू), ऑल इंडिया यूनाइटेड ट्रेड यूनियन सेंटर (एआईयूटीयूसी), ट्रेड यूनियन को-ऑर्डिनेशन सेंटर (टीयूसीसी), सेल्फ-एम्प्लॉइड वुमेन्स एसोसिएशन (सेवा), ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियंस (एआईसीसीटीयू), लेबर प्रोग्रेसिव फेडरेशन (एलपीएफ) और यूनाइटेड ट्रेड यूनियन कांग्रेस (यूटीयूसी) ने भाग लिया।
हड़ताल में भाग ले रहे यूनियन के नेताओं के मुताबिक़ प्रदेश श्रम कानूनों की सरेआम धज्जियां उड़ाई जा रही है। सरकारी संस्थाओं से लेकर निज़ी क्षेत्र में कर्मियों और मज़दूरों का शोषण किया जा रहा। निजीकरण के चलते कर्मियों को उचित वेतन नही दिया जा रहा है। प्रदेश में मिड-डे-मील वर्कर, आंगनवाड़ी वर्कर, आउटसोर्स कर्मियों सहित डेली वेज़ वर्कर को उनके काम के मुताबिक वेतन नहीं दिया जा रहा है। जबकि श्रम कानूनों के मुताबिक किसी भी मज़दूर और कर्मी को 15 हजार से कम वेतन नहीं दिया जा सकता है। केंद्र और राज्य सरकारें पूंजीपतियों को फ़ायदा पहुंचाने के लिए गरीबों का शोषण कर रहीं हैं।