पी. चंद। छात्र अभिभावक मंच ने निजी स्कूलों में आम सभाओं के ज़रिए पीटीए गठन करके भारी फीसों पर रोक लगाने की मांग की है। मंच के सदस्यों ने उच्चतर शिक्षा निदेशक को चेताया है कि अगर उन्होंने 7 अप्रैल 2022 को छात्र अभिभावक मंच के प्रतिनिधिमंडल को किये गए वायदे अनुसार आम सभाओं, पीटीए गठन व भारी फीसों पर रोक लगाने के संदर्भ में तुरन्त आदेश जारी न किए तो मंच शिक्षा निदेशालय का घेराव करेगा।
उन्होंने कहा कि शिक्षा निदेशक को मांग-पत्र सौंपे हुए दस दिन बीत चुके हैं। इस दौरान मंच पदाधिकारियों की शिक्षा अधिकारियों से कई बार बातचीत भी हुई है लेकिन इसके बावजूद भी आदेश न जारी होना साफ बता रहा है कि प्रदेश सरकार व शिक्षा अधिकारियों की निजी स्कूल प्रबंधनों से सांठ-गांठ है। प्रदेश सरकार निजी स्कूलों में पढ़ने वाले साढ़े 6 लाख छात्रों और उनके लगभग दस लाख अभिभावकों को न्याय देने के बजाए निजी स्कूल प्रबंधनों की मनमानी लूट, फीस वृद्धि व भारी फीसों का खुला समर्थन कर रही है जोकि बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार निजी स्कूलों के संचालन के लिए जान-बूझ कर कानून नहीं बना रही है ताकि निजी स्कूलों की लूट बदस्तूर जारी रहे। निजी स्कूलों द्वारा हर वर्ष एडमिशन फीस लेने और सभी तरह के चार्जेज़ पर नकेल लगाने सम्बन्धी हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के 27 अप्रैल 2016 के निर्णय को भी सरकार अनदेखा कर रही है व इसे लागू नहीं कर रही है। इस तरह प्रत्यक्ष व परोक्ष दोनों तरह से सरकार निजी स्कूलों की लूट को खुली छूट दे रही है।
उन्होंने कहा कि निजी स्कूलों के संदर्भ में उच्चतर शिक्षा निदेशक के ये आदेश धूल फांक रहे हैं और निजी स्कूल प्रबंधन मनमानी लूट जारी रखे हुए हैं। अगर ये आदेश लागू होते तो पिछले तीन वर्षों में 25 से 50 प्रतिशत की फीस वृद्धि से अभिभावकों को राहत मिल सकती थी लेकिन निजी स्कूलों की लूट पर सरकार की खामोशी सब कुछ बयान कर रही है। मंच ने प्रदेश सरकार व उच्चतर शिक्षा निदेशालय को चेताया है कि अगर निजी स्कूलों में तुरन्त आम सभाएं आयोजित करके पीटीए का गठन न हुआ और भारी फीस वृद्धि पर रोक न लगी तो अभिभावक सरकार के खिलाफ दोबारा मोर्चा खोलेंगे।