हाल ही में कॉलेज छात्रों के हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय द्वारा निकाले गए परीक्षा परिणाम से बच्चे नाखुश नज़र आ रहे हैं और यूनिवर्सिटी प्रशासन पर बच्चों में काफी रोष देखने को मिल रहा है। बच्चों ने यूनिवर्सिटी प्रशासन पर आरोप लगाए हैं कि पेपर्स को अच्छे से चेक नहीं किया गया है। जो बच्चे स्कूलों में अच्छे नंबरों से पास हुए हैं उन्हें भी यूनिवर्सिटी ने फेल कर दिया है। असाइनमेंट समय पर देने से लेकर सारी क्लासें अटेंड करने के बावजूद भी बच्चों को फेल कर दिया जा रहा है। बच्चों की इस बात से तो यह बात साफ़ दिखाई दे रही है कि यूनिवर्सिटी प्रशासन की ख़ामियों का नतीजा है जो बच्चों के सपनों को अधर में लटका रही है।
गौरतलब है कि पिछले साल भी यूनिवर्सिटी ने काफी ज्यादा बच्चों को फेल कर दिया था। बार-बार सपली का पेपर भरने पर भी वह बच्चे पास नहीं हो रहे हैं। उन्हें लगातार यूनिवर्सिटी फेल कर रही है। जिसका नतीजा यह निकलकर सामने आ रहा है कि कुछ बच्चे आत्महत्या जैसे कदम को उठा रहे हैं और कुछ बच्चे कॉलेज छोड़ने को मजबूर हो रहे हैं। यदि रुसा सिस्टम की बात की जाए तो जब रुसा अपने अंतिम पड़ाव पर चल रहा था उस समय जो बच्चे रुसा के अंडर पढ़ रहे थे उनकी ग्रेजुएशन कंपलीट होने के बाद भी उनका रिजल्ट शून्य कर दिया गया। फेल हुए बच्चों ने दोबारा पेपर भी दिए लेकिन फिर भी उन्हें यूनिवर्सिटी फेल कर रही है।
इसे यूनिवर्सिटी की कमी कह लो या नाकामयाबी जो बच्चों के चार साल लगाने पर भी उन्हें फेल कर रही है। बच्चों के भविष्य के साथ यूनिवर्सिटी खिलवाड़ कर रही है। यूनिवर्सिटी उनके रिजल्ट को ठीक करने के बजाए उल्टा रिजल्ट अपग्रेड करने पर सभी स्बजेक्ट्स में फेल कर रही है। इस बात को लेकर बच्चों ने काफी धरने दिए, विरोध प्रदर्शन किया लेकिन नतीजा हर बार की तरह वैसे का वैसा ही है। जहां हिमाचल शिक्षा के क्षेत्र में तर्ककी कर रही है वहीं दूसरी और यूनिवर्सिटी बच्चों को फैल कर रही है। सभी बच्चों की मांग है कि उनके साथ न्याय किया जाए ताकि वह अपने लक्ष्य तक पहुंच सकें।