दिन प्रतिदिन शिक्षा का स्तर सरकारी स्कूलों में कम होता नजर आ रहा है। कारण मूलभूत सुविधा न मिलना। ऐसी सच्चाई से हम आपको आज रूबरू करवाते हैं जिसे देखकर आप खुद हैरान हो जाएंगे कि प्रशासन और विभाग की कितनी बड़ी लापरवाही सामने आई है। जहां खुले आसमान के नीचे छात्र छाता लेकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं। शिक्षा के स्तर पर मंत्री और नेता बड़े-बड़े वादे भाषणों में कर देते हैं पर जब जमीनी हकीकत सामने आती है तो इन दावों की पोल खुल जाती है।
आज हम बात कर रहे हैं हिमाचल के जिला सिरमौर का राजकीय उच्च विद्यालय धरोटी का हाल। पिछले कुछ वर्षों से लगातार विभाग और सरकार से बिल्डिंग का काम पूरा करने की गुहार लगाने के बावजूद इस विद्यालय की 2 कक्षाएं खुले में बैठने को मजबूर है। कई बार इस मुद्दे को SMC के माध्यम तथा विभाग को दिए गए आवेदनों के बावजूद भी सरकार के कान में जूं तक नही रेंगती।
ज्ञात हो कि इस छोटे से विद्यालय में 130 विद्यार्थी पढ़ रहे हैं। जिसमें ज्यादातर बच्चे अनुसूचित जाति के है। जहां एक ओर समाज के पिछड़े वर्गों को उठाने के दावे सरकारें बार बार कर रही है। वहीं, इन बच्चों के साथ सौतेला व्यवहार क्यों किया जा रहा है। कड़कती धूप में और बारिश के मौसम में ये बच्चे खुले में बैठने को मजबूर हैं। तमाम SMC तथा अभिभावकों का विभाग तथा सरकार से आग्रह है कि जल्द से जल्द इन मासूम बच्चों के लिए बिल्डिंग का प्रावधान किया जाए।10 किलोमीटर दूर पैदल चलकर स्कूली छात्र शिक्षा ग्रहण करने के लिए विद्यालय पहुंचते हैं पर सुविधाओं ना मिलने के कारण परेशान हो जाते हैं बारिश के दिनों में छाता लेकर पढ़ाई करनी पड़ रही है।