प्रदेश सरकार ने जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए कीटनाशकों पर मिलने वाली सब्सिडी को पूरी तरह से बंद कर दिया है। प्रदेश सरकार किटनाशकों पर किसानों को सब्सिडी देने के लिए 2 करोड रुपये खर्च करती थी जो अब पूरी तरह से खत्म कर दी गई है। अब ये कीटनाशक किसानों को बाजार के दामों पर ही मिल पाएंगे। कृषि मंत्री रामलाल मारकंडे ने बताया कि सरकार ने इस सब्सिडी को इसलिए बंद किया है ताकि आने वाले समय में प्रदेश का किसान जैविक खेती और जीरो बजट खेती की तरफ आकर्षित हो और उसी पर मेहनत करे।
उन्होंने बताया कि हालांकि जीरो बजट खेती के लिए जैविक खेती के लिए 2 से 3 साल खेतों को तैयार करने में लग जाते हैं। लेकिन फिर भी इसके नतीजे सकारात्मक आ रहे हैं। यही कारण है कि सरकार ने अब कीटनाशकों के छिड़काव को कम करने का निर्णय लिया है। और जैविक खेती को बढ़ावा देने का निर्णय किसानों और अपने सेहत के प्रति दुष्प्रभावों को देखते हुए लिया है।
बता दें कि हिमाचल प्रदेश में 80 फ़ीसदी किसान रहते हैं जो की पूरी तरह खेती पर निर्भर हैं। और अब अचानक से जब सब्सिडी को बंद कर दिया गया है जिससे किसानों पर महंगाई को एक आर्थिक बोझ पड़ने वाला है। हालांकि अगर किसान रसायनिक खेती को छोड़कर जैविक खेती की तरफ जाते हैं तो इसका स्वास्थ्य के रूप में लाभ जरूर प्रदेश की जनता को मिलेगा।