Follow Us:

फोर्टिस कांगड़ा में 7 माह की गर्भवती का सफल प्रसव, डॉक्टरों के हुनर से सूनी कोख में गूंजी किलकारियां

|

फोर्टिस अस्पताल कांगड़ा में महज साढ़े सात महीने की गर्भवस्था में प्रीमैच्योर डिलीवरी को सफल अंजाम दिया गया। इस प्रसूति में सबसे बड़ी चुनौती नवजात को बचाने की थी। पेट में पल रहा शिशु न केवल अविकसित था, बल्कि उसे अन्य जटिलताओं ने भी घेर लिया था, लेकिन इस चुनौती को प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. निशा मुंजाल ने न केवल स्वीकार किया, बल्कि भारी मशक्कत के बाद इसे सफल परिणाम तक भी पहुंचाया। वहीं डॉ पुनीत आनंद ने 900 ग्राम के अविकसित बच्चे को सघन चिकित्सा सेवाओं के जरिये सामान्य अवस्था में लाने के कोई कसर नहीं छोड़ी।

दरअसल, यह नवजात टेस्ट ट्यूब तकनीक द्वारा गर्भ में ठहरा था। गर्भवती महिला में सात माह की गर्भावस्था के दौरान कुछ जटिलताएं आईं जिसका उपचार टांडा मेडिकल कालेज में चल रहा था, लेकिन अचानक उनकी दिक्कतें बढ़ गईं। जिस वजह से उन्हें पीजीआई चंडीगढ़ रैफर किया गया, लेकिन मरीज की गंभीरता को देखते हुए उन्हें एमरजेंसी में फोर्टिस अस्पताल कांगड़ा में लाया गया। नवजात का भार महज 900 ग्राम था, साथ ही वह अविकसित भी था।

फोर्टिस कांगड़ा की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ निशा मुंजाल ने सबसे पहले मरीज की गहनता से जांच करके उसकी हालत को स्थिर किया। डॉ. निशा ने गहन परीक्षण करने के बाद पाया कि बच्चे के आसपास पानी खत्म हो चुका था, बच्चे को खून भी नहीं जा रहा था और बच्चे की स्थिति गर्भ में ही नाजुक बन चुकी थी। उधर, गर्ववती मरीज का ब्लड प्रेशर बहुत हाई था, इसलिए डॉ. निशा ने तुरंत सिजेरियन करने का फैसला लिया। ये मरीज की स्थिति की गंभीरता को देखते हुए और नवजात को बचाने के लिए निहायत जरूरी था।

सफल डिलीवरी के उपरांत अब नवजात को बचाना एक बड़ी चुनौती थी। बच्चे के फेफड़े व आंतें कमजोर थीं, सांस लेने में दिक्कत थी। नवजात का ब्लड शुगर लेवर भी लो था। इन सब के चलते बच्चे को इन्फेक्शन का भी खतरा था। बच्चे का वजन जन्म के उपरांत लगभग 900 ग्राम था। इसलिए शिशु को नवजात एवं बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. पुनीत आनंद व अन्य नर्सिंग स्टाफ की निगरानी में रखा गया। जल्द ही बच्चे की स्थिति मे सुधार आने लगा, उसका वजन भी बढ़ने लगा और नवजात का फोर्टिस संग जिंदगी के लिए संघर्ष कामयाब रहा। बच्चे की स्थिति में आशातीत सुधार हुआ और डाक्टरों की टीम उसे सामान्य अवस्था में लाने में कामयाब हुई।

इस संबंध में डॉ. निशा मुंजाल ने कहा कि ये केस वास्तव में चुनौतिपुरण था, लेकिन सही समय पर जरूरी चिकित्सा सेवाएं मुहैय्या होने से माँ और बच्चे की जीवन रेखा को मजबूत किया जा सका। इस तरह के मामलों में देरी करना जीवन पर भारी पड़ सकती है।