<p>प्रदेश के एकमात्र सैनिक स्कूल सुजानपुर में लड़कियों के लिए भी शिक्षा शुरु करने के लिए केंद्र को प्रस्ताव भेजा गया था। लेकिन मिनिस्ट्री ऑफ डिफैंस को जो मसौदा यहां से तैयार कर अप्रुवल के लिए भेजा गया था, उसको स्वीकृति नहीं मिली है। इस अवस्था में अब यहां फिलहाल लड़के ही शिक्षा लेते रहेंगे।</p>
<p>गौरतलब है कि इस स्कूल में हिमाचल के अलावा कई राज्यों के लड़के शिक्षा ले रहे हैं। इस समय मिजोरम राज्य के छिंगछिप में जो सैनिक स्कूल चल रहा है वहां लड़कियों को भी शिक्षा देने की अप्रुवल मिल गई है। योजना के तहत सैनिक स्कूल सुजानपुर में लड़कों के साथ-साथ लड़कियों के लिए भी केंद्र के निर्देशों के बाद शिक्षा शुरु करने को लेकर स्कूल प्रशासन ने एक डिटेल रिर्पोट को तैयार तो किया था। लेकिन यहां राज्य सरकार की ओर से मिलने वाली ग्रांट नाकाफी होने और दूसरी इंफ्रास्ट्रक्चर की सुविधाएं जोड़ने को लेकर बजट भी कहीं न कहीं आड़े आता दिख रहा है।</p>
<p>राज्य सरकार की ओर से यदि हर साल 3 करोड़ तक की फंडिग यहां स्कूल को मिले तो इसका सीधा लाभ इससे शिक्षा लेने वाले स्टूडेंटस को ही मिल सकता है, लेकिन पिछले काफी सालों से यहां के लिए जो बजट दिया जा रहा है वह बेहद कम है। जबकि मिजोरम में वहां की राज्य सरकार सैनिक स्कूल को काफी फंड मुहैया करवा रही है</p>
<p>इसके अलावा जो लड़कियों के लिए वहां शिक्षा शुरु की गई उसके लिए भी जो भी तमाम नई सुविधाएं और इंफ्रास्टक्चर जोड़ा जाना था, वह मुहैया होने से वहां बेटियों को जरुर लाभ मिला है, लेकिन हिमाचल को अप्रुवल नहीं मिलने के कारण यहां से शिक्षा लेने के लिए बेटियों को अभी और साल लग सकते हैं। दरअसल, लड़कियों को भी शिक्षा शुरु करने के लिए हॉस्टल से लेकर बड़े स्तर की मैस, भवन और दूसरी सुविधाएं जोड़ना पहले जरुरी था।</p>
<p><span style=”color:#c0392b”><strong>40 साल पहले हुआ शुरु</strong></span></p>
<p>सुजानपुर सैनिक स्कूल का शिलान्यास 1974 को इंदिरा गांधी की ओर से किया गया था। इसके बाद 2 नंबवर 1978 को तत्कालीन राष्ट्रपति नीलम संजीवा रेड्डी ने इसका उद्घाटन किया था। तब से आज तक यहां केवल लड़को के लिए ही शिक्षा देने का ही कार्य है। यहां इस समय हिमाचल के अलावा पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उतर प्रदेश, छतीसगढ़ सहित कई राज्यों के लड़के शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। यहां से पढ़ने वाले करीब 500 कैडेट सेना के तीनों अंगो में सैन्य अधिकारी के तौर पर सेवाएं दे रहे हैं।</p>
<p>जमा दो तक की शिक्षा के बाद एनडीए से पास आउट मेजर शहीद सुधीर वालिया को अशोक चक्र के अलावा कै. संजीव सिंह जंबाल को वीर चक्रा, मेजर विरेंद्र ढटवालिया को शौर्य चक्र के अलावा मेजर रविंद्र सिंह, अनिल राणा, अमित कंवर, रंजन महाजन, डीएस पटियाल, राकेश मदान, और दिग्विजय सिंह सहित यहां से शिक्षा ग्रहण कर चुके स्टूडेंटस जो सेना में हैं को सेना मेडल मिल चुके हैं।</p>
<p>जाहिर है कि वह हिमाचल और इस स्कूल का नाम रोशन कर रहे हैं। इसके अलावा हिमाचल स्वास्थ्य विभाग में भी दर्जनों बतौर स्पेशलिस्ट डॉक्टर सेवाएं दे रहे हैं। यदि लड़कियों को भी यहां से शिक्षा शुरु करने की स्वीकृति मिल जाती तो वह जमा दो के बाद उच्च शिक्षा ले कर सीडीएस, एएफसीएटी, यूपीएससी से क्लीयर कर भारतीय सेनाओं में अपनी सेवाएं देने का जनून पूरा कर सकती थीं।</p>
<p>मिजोरम सैनिक स्कूल को वहां की राज्य सरकार की ओर से काफी बजट मुहैया हो रहा है। वहां लड़कियों की शिक्षा शुरु करने के लिए भी इंफ्रास्ट्रक्चर से लेकर दूसरी तमाम सुविधाएं राज्य सरकार ने जुटाई हैं। सुजानपुर में भी लड़कियों की शिक्षा शुरु करने को लेकर सभी पहलुओं को ध्यान में रख कर मामला अप्रुवल को भेजा गया था लेकिन स्वीकृति नहीं मिल पाई है।</p>
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