<p>प्रदेश के स्कूलों में नियुक्त दस हजार से अधिक शिक्षकों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को साल 1996 की अनुबंध और पैरा 2003 नीति के तहत अवकाश के वेतनमान मामले में 2010-2011 में हिमाचल सरकार द्वारा दायर सभी एसएलपी को निरस्त कर दिया है।</p>
<p>सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस आदर्श कुमार गोयल और जस्टिस यू ललित की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। साल 2000 में बलदेव सिंह और अन्य के एक मामले में राज्य प्रशासनिक ट्रिब्यूनल ने 1998 के बाद अनुबंध पर नियुक्त शिक्षकों को छुट्टियों का वेतन देने का फैसला सुनाया है।</p>
<p>गौरतलब है कि शिक्षकों को वित्तीय लाभ देने के बाद साल 2010 में हिमाचल सरकार सुप्रीम कोर्ट चली गई। सरकार ने अतिरिक्त वित्तीय बोझ का हवाला देते हुए शिक्षकों से वसूली करने की एसएलपी के माध्यम से मांग की जिसे मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया।<br />
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से करीब 3500 जेबीटी, 5000 लेक्चरर/पीजीटी और 1967 पैरा को बड़ी राहत मिली है।</p>
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