हिमाचल प्रदेश में स्टोन क्रशर मामले में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के उस फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने तीन माह के लिए स्टे लगा दिया है। इसके बाद से प्रदेश के स्टोन क्रशरों को थोड़ी राहत मिली है।
सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल सरकार से कहा है कि वह तीन माह के भीतर एनजीटी के पास अपना पक्ष दोबारा प्रस्तुत करे। एनजीटी ने हिमाचल में स्टोन क्रशरों पर रोक लगाने के लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को रोक लगाने का आदेश दिया था। इसके बाद प्रभावित स्टोन क्रशर मालिकों ने एनजीटी के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। इसके साथ ही राज्य सरकार भी एनजीटी के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने पहुंच गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए एनजीटी के फैसले पर तीन माह तक स्टे लगा दिया है। राज्य के जियोलॉजिस्ट पुनीत गुलेरिया ने बताया है कि सुप्रीम कोर्ट में एनजीटी के फैसले पर तीन माह तक रोक लग गई है। साथ ही राज्य सरकार को कहा है कि वह इस बीच दोबारा एनजीटी के पास रिप्रेजेंट करें।
बता दें कि हिमाचल में 60 फ़ीसदी क्रशर ऐसे हैं जो कि खड्डों और नदियों के 100 मीटर के दायरे में आते हैं और खड्डों में खनन करते हैं। इतना ही नहीं खड्डों के किनारे खनन के चलते प्रदेश की बहुत सी पेयजल योजनाएं भी हांफ चुकी हैं । जिसके चलते नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने खड्डों के 100 मीटर के दायरे में आने वाले क्रशरों को बंद करने का आदेश प्रदेश सरकार को जारी किया था।