शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने शिमला में कहा कि हिमाचल प्रदेश में संस्कृत विश्व विद्यालय बनाने को लेकर भी सरकार गम्भीर है। इसको लेकर सरकार द्वारा जगह और वित्तिय व्यवस्था पर विचार किया जा रहा है। शिमला ऐतिहासिक गेयटी थियेटर में चल रहे पुस्तक मेले में द्वितीय राजभाषा संस्कृत समारोह के दौरान शिक्षा मंत्री के साथ पूर्व सांसद शांता कुमार ने भी शिरकत की। समारोह में भाषा के रूप में संस्कृत के महत्व और राष्ट्र के योगदान के संस्कृत के महत्व पर चर्चा की गई। विद्वानों ने बताया कि संस्कृत कंप्यूटर, विज्ञान और नए प्रयोगों के लिए भी बेहतरीन भाषा है।
शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि शिक्षा के लिये देश भर में अग्रेजी, हिंदी और एक प्रांतीय भाषा का प्रावधान है। हिमाचल प्रदेश में संस्कृत द्वितीय भाषा है। प्रदेश सरकार जल्द ही संस्कृत भाषा को अनिर्वाय भाषा के रूप में पढ़ाये जाने के प्रयास करेगी। स्कूलों, शिक्षण संस्थानों में इसे अनिर्वाय भाषा के तौर कैसे पढ़ाया जाए इस पर सरकार चर्चा कर रही है।
धर्मशाला में शिक्षा बोर्ड के साथ इसको लेकर बैठक रखी गई है। शिक्षा विभाग की रिव्यू बैठक में भी इस पर चर्चा की गई है। संस्कृत विषय को लेकर स्कूलों और कॉलेजों में एनरोलमेंट बहुत कम है। इसलिए द्वितीय भाषा का दर्जा दिया है। लेकिन, इसे किताबों तक सीमित न रख कर इसका बढ़िया उपयोग किया जाए। इस पर सरकार प्रयास कर रही है। शिक्षा मंत्री ने कहा कि संस्कृत का प्रचार प्रसार तब तक नही हो सकेगा जब तक संस्कृत प्रेमी आगे आकर इसमें पहल नहीं करते।