देश भर में कोविड के मामलों में बढ़ोतरी के चलते ऑक्सीजन के लिए हाहाकर मचा हुआ है। लेकिन हिमाचल में ऑक्सीजन के मामले पर हालात काबू में है। प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी में वर्ष 2017 में लगाया गया ऑक्सीजन प्लांट कोविड-19 के मरीजों के लिए वरदान साबित हो रहा है। 3600 क्युविक लीटर क्षमता वाले प्लांट में से 3000 क्युविक लीटर ऑक्सीजन की रोजना आईजीएमसी में ख़पत हो रही है। जबकि 600 क्युविक लीटर अभी भी बच रही है। 2017 में कांग्रेस के कार्यकाल में आईजीएमसी शिमला में ऑक्सीजन प्लांट लगाया गया था। अभी पूरे प्रदेश को आईजीएमसी शिमला और मंडी स्थित ऑक्सीजन प्लांट से ही ऑक्सीजन की सप्लाई पूरी की जाती है।
शिमला आईजीएमसी के ऑक्सीजन प्लांट के केमिकल एनालिस्ट ऑफिसर हरीश शर्मा ने बताया कि IGMC ऑक्सीजन प्लांट से आईजीएमसी के कोरोना पॉजिटिव मरीजों, ऑपरेशन थिएटर और अन्य मरीजों के अलावा शिमला के कमल नेहरू अस्पताल के लिए भी ऑक्सीजन की आपूर्ति की जा रही है। अभी ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है बल्कि सरप्लस ऑक्सीजन उपलब्ध है। प्लांट से हर रोज 600D type के बड़े ऑक्सीजन सिलेंडर भरे जाते हैं। यदि भविष्य में कोरोना बढ़ता है और ऑक्सीजन की मांग बढ़ती है तो उसके लिए 20 हजार लीटर की क्षमता का लिक्विड ऑक्सीजन टैंक लगाने के लिए सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है। हां पहले जहां प्लांट 12 घंटे काम करता था अब 24 घंटे कर दिया है ताकि ऑक्सीजन की कमी न हो।
हिमाचल के नाहन, डीडीयू, मंडी, टीएमसी, आईजीएमसी, हमीरपुर और चंबा मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन प्लांट स्थापित किए जा रहे हैं। इन ऑक्सीजन प्लांट के बन जाने से अस्पतालों में आने वाली ऑक्सीजन कि किल्लत की समस्या दूर हो जाएगी। हिमाचल में नाहन, दीन दयाल उपाध्याय, मंडी, टीएमसी, आईजीएमसी में ऑक्सीजन प्लांट बन कर तैयार हो चुके हैं। यहां पर भी जल्द ही ऑक्सीजन बनना शुरू होने वाली है। कोविड के बढ़ते मामलों के चलते ऑक्सीजन की भारी जरूरत महसूस की जा रही है।