अभी मंडी जिले के सरकाघाट उपमंडल की भावंला पंचायत में पूर्व प्रधान द्वारा अपने कार्यकाल में अपने जिंदा बेटे को मृत दिखाकर बहू का विधवा प्रमाणपत्र जारी करके उसे बीपीएल और पेंशन आदि की सुविधा देने को लेकर वायरल हुए विडियो की चर्चा हल्की भी नहीं हुई थी कि जिले की बल्ह घाटी में 9 मृतकों द्वारा 134 किलो आटा, चावल, दाल, तेल,चीनी और नमक डिपो से जाने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। एक डिपो होल्डर द्वारा मृतकों के नाम पर ही राशन बंटा दिखाकर 1 लाख 18 हजार 156 रुपए के गोलमाल का भांडाफोड़ हुआ है।
रोचक तो यह है कि यह गोलमाल कोई विभाग के रूटीन निरीक्षण या फिर आडिट में नहीं पकड़ा गया बल्कि एक स्थानीय व्यक्ति द्वारा बार-बार शिकायत किए जाने के बाद की गई जांच में पकड़ा गया है। जिला नियंत्रक खाद्य आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले लक्षमण सिंह कनेट अपने पत्र संख्या 5598-5604 दिनांक 31-07-2021 में बताया कि हेम सिंह सकलानी गांव खांदला डाकघर कुम्मी जिला मंडी की शिकायत जो उसने लगभग 11 महीने पहले 27 सितंबर 2020 व इस का दोहराव 17 फरवरी 2021 को की थी के संदर्भ में करवाई थी। शिकायत की जांच पंकज शर्मा निरीक्षक गोपालपुर की अध्यक्षता में गठित कमेटी से करवाई गई। जिला नियंत्रक ने इस बारे में जारी पत्र में बताया कि यह डिपो मनोरमा देवी के नाम पर है जो गांव स्टोह कुम्मी में है।
जांच में पाया गया कि 9 लोग जो मर चुके हैं उनके नाम पर राशन बांटा दिखाया जाता रहा। इन 9 लोगों में फिंजी पत्नी साध मृत्यु 31 अक्तूबर 2018, गौरजा पत्नी घुंगर मृत्यु 26 दिसंबर 15, गिलमू देवी पत्नी अच्छर सिंह मृत्यु 23 जुलाई 2019, द्रोमती देवी मृत्यु 23 मार्च 2018, मोहन लाल पुत्र नंतू मृत्यु 1 सितंबर 2015, प्रभदयाल मृत्यु 11 मार्च 2015, राम लाल मृत्यु 24 अगस्त 2018, चूहडू राम मृत्यु 14 अगस्त 2016, और स्वारी देवी पत्नी स्वारू राम मृत्यु 23 जून 2017 है। जिला नियंत्रक ने जांच के बाद मनोरमा देवी डिपो होल्डर को एक सप्ताह में इस रकम को सरकारी खजाने में जमा करने के आदेश दिए हैं।
हैरानी यह है कि जिस डिपो में ये घोटाला हुआ है उस डिपो को एक महिला चलाती है। उससे भी हैरानीजनक तो यह है कि सरकार ने फर्जी राशन आवंटन को रोकने के लिए अंगूठा लगाकर राशन जारी किए जाने की प्रणाली शुरू कर रखी है मगर उसके बावजूद भी मरे हुए लोगों के नाम पर राशन जारी होता रहा है। यहां भी इसे लेकर कोई शंका नहीं है कि यह कोई अकेला एक डिपो का मामला नहीं है, इस तरह की शिकायतें आम आती हैं मगर न जाने विभाग के अंदरूनी आडिट करने वाले या फिर अन्य स्तर पर होने पर ऑडिट और निरीक्षण करने वाले क्या देखते और करते हैं। सरकार को इस तरह की घपलेबाजी पर सख्त से सख्त रवैया अपनाने की जरूरत है। यह मामला भी यदि हिम्मत करके स्थानीय व्यक्ति बार बार शिकायत नहीं करता, जांच का दबाव नहीं बनाता तो अन्य मामलों की तरह दब जाता। शिकायतकर्ता हेम सिंह सकलानी ने बताया कि बहुत से डिपो में इस तरह का घोटाला है मगर विभाग इसे लेकर मूकदर्शक बना हुआ है।