आजकल इन दिनों सोमभद्रा-स्वां नदी तट समीप जंगली नील गायों का आतंक मंडराया हुआ है। नील गायों का झुंड शाम को और रात को किसानों की फसलों पर आक्रमण कर आलू-सब्जियों और मक्की की फसलों को बेरहमी से चट कर रहा है। किसान इन नील गायों के आक्रमणों से परेशान और बदहाल हो गये है। स्थानीय कई किसानों ने बतलाया कि उन्होंने तो नील गायों की उजाड़ के चलते सब्जियां और मक्की-गेहुं की फसलों को उगाना बंद करके फल उत्पादन अपनाया है।
वहीं, किसानों का कहना है की छोटे-छोटे फल के पेड़ों पर भी नील गायों का काफिला धावा बोल देता है। स्थानीय राई परिवारों (सब्जियां उत्पादक परिवार) किसानों और जिला प्रशासन से नील गायों के आंतक से किसानों की फसलों को बचाने के ऐहतियातन प्रबंधन तलाशने की पुरजोर मांग की है। इस बारे किसानों की एक सर्व सम्मत राय है कि अंब-गगरेट में जंगली नील गायों के लिए एक अभयारण्य बनाया जाए। कुछ किसानों और प्रबुद्ध वर्ग का कहना है कि जंगली नील गायों का बहुधा छुपे होने का मूल स्थान सोमभद्रा-स्वां नदी के किनारे और बंजर भूमि की झाड़ियां, बीहड़-बेले है। इस हजारों एकड़ सरकारी जमीन समीप सोमभद्रा -स्वां नदी में नर और मादा नील गायों के झुंड दिन में छुपे रहते हैं।
वहीं, रात के दस्तक देते ही अंब-गगरेट के किसानों के खेतों को उजाड़ करने का आक्रमण तेज हो जाता है। इन किसानों और प्रबुद्ध वर्ग की राय है कि सोमभद्रा-स्वां नदी में झील निर्माण से एक पंथ दो काज सम्पन्न करवाये जा सकते हैं। सोमभद्रा-स्वां नदी के भू-भाग पर एक लम्बी और ऊंची झील का निर्माण और चारों तरफ से इसका सुरक्षात्मक सीमांकन करने से नील गायों का आतंक खुद ही समाप्त हो जायेगा।
नील गायों को जब सोमभद्रा-स्वां में छिपने की कोई जगह नहीं मिलेगा तो नील गायों का यहां से अन्यत्र पलायन हो जायेगा। झील निर्माण से अंब-गगरेट समेत समूचे जिला ऊना के लिए पर्यटन स्थल विकसित करवाने को भी बढ़ावा मिलेगा। और लोगों ने सरकार से आग्रह किया है कि किसानों को नील गायों के फसलों को उजाड़ से बचाने हेतु शीघ्रातिशीघ्र समाधान खोजना चाहिए ताकि किसानों को राहत मिल सके।