SFI के राज्य सचिव अमित ने आरोप लगाते हुए कहा है कि छात्र आंदोलन को दवाने के लिए 24 मार्च को एसएफआई कार्यकर्ताओं पर हमला करवाया गया था। एचपीयू प्रशासन छात्रों द्वारा लगाए गए घोटाले के आरोपों से बौखलाजट में है और बीजेपी सरकार के इशारे से एसएफआई के कार्यकर्ताओं पर सुनियोजित तरीके से ये हमला करवाया गया।
SFI ने आरोप लगाया है कि एचपीयू के अंदर 7 करोड़ रुपये का आउटसोर्स के माध्यम की गई 30 भर्तियों का ठेका बीजेपी और आरएसएस के लोगों को दिया गया है। एमसीए के अंदर भी बिना किसी अधिसूचना के पीएचडी में एक छात्रा को दाखिल दिया गया है जिन्हें एसएफआई ने उजागर किया है। इसी बौखलाहट में विवि प्रशासन ने सरकार के इशारे पर एसएफआई के छात्र कार्यकर्ताओ पर सुनियोजित तरीके से हमला करवाया ताकि विश्व विद्यालय का माहौल खराब हो और लोगों का ध्यान इस मुद्दे से हट जाए।
एसएफआई के राज्य सचिव ने कहा कि विश्व विद्यालय में आज तक जितने भी घोटालों का पर्दाफाश हुआ है उन्हें एसएफआई ने ही आंदोलन के माध्यम से लोगों के बीच मे लाया है। पुलिस भी विवि प्रशासन और बीजेपी सरकार के दबाव में एसएफआई के छात्र कार्यकर्ताओं पर झूठे मुकदमे दर्ज कर रही है जिसका एसएफआई विरोध करती है।
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वंही एसएफआई के राज्य सचिव ने आरोप लगाया है कि विश्व विद्यालय में एम. कॉम और इक्डोल के अंदर कई घोटाले हुए हैं जिस पर अभी विवि प्रशासन ने किसी भी तरह की जांच नही की है। एसएफआई लगातार इन घोटालों के खिलाफ आंदोलन कर रही थी जिससे घबरा कर विवि प्रशासन ने छात्र आंदोलन को कुचलने के लिए एसएफआई पर यह हमला करवाया। जबकि दूसरी ओर होस्टल के अंदर दराट लेकर पहुंचने वाले एबीवीपी के छात्र कार्यकर्ताओं पर किसी भी तरह का मुकदमा और कार्रवाई नहीं की जा रही है।