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लोगों ने कड़ी मेहनत से एंबुलेंस के लिए बनाया रोड़, आर्मी ने लोहे का गेट लगाकर किया बंद

मृत्युंजय पुरी, धर्मशाला |

एक ऐसा गांव जिसके कुछ वीर सपूतों ने देश की आजादी के लिए अपने प्राण तक न्यौछावर कर दिए और आज उसी गांव के सैकड़ों बाशिदों को देश की रक्षा के लिए तैनात आर्मी से मात्र एक सड़क के लिए जंग लड़नी पड़ रही है। धर्मशाला शहर के साथ सटे चांदमारी गांव के लोग पिछले कई वर्षों से एंबुलैंस के लिए रोड़ की मांग कर रहे हैं और देश की रक्षा के लिए तैनात आर्मी उन्हें एंबुलैंस के लिए रोड़ देने में भी आनाकानी कर रही है। इसी कड़ी में शनिवार को चांदमारी गांव के लोगों ने अपनी मेहनत से एंबुलेंस के आने के लिए रोड़ तो बना दिया, लेकिन आर्मी प्रशासन के आदेशों के बाद इस रोड़ पर आर्मी प्रशासन ने लोहे का गेट लगाकर उसे बंद कर दिया।

इसी के विरोध में शनिवार को चांदमारी व इसके साथ सटे गांव के लोगों ने चांदमारी के पास जहां से इस संपर्क मार्ग को एंबुलैंस के लिए तैयार किया गया है वहां पर आकर धरना दिया और आर्मी प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन  किया।

गनिमत है कि 1961 में कजलोट पंचायत के तहत आते चांदमारी व इसके साथ सटे गांव अस्तित्व में आए और 2014 में पुर्नसिमांकन के बाद कजलोट पंचायत का विलय सुधेड़ पंचायत में कर दिया गया। इन गांववासियों का कहना है कि आर्मी प्रशासन की मनमानियों के कारण इन्हें आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित रहना पड़ रहा है। इस कजलोट गांव की महिला व पूर्व प्रधान का कहना है कि आर्मी प्रशासन द्वारा पहले उन्हें एंबुलैंस के लिए रोड़ बनाने के लिए कहा गया था और ऐसे में इस गांव के सभी लोगों ने अपनी मेहनत से एंबुलैंस लायक रोड़ तैयार कर दिया गया और बाद में आर्मी प्रशासन ने इसे रातों-रात बंद कर दिया। उनका कहना था कि एक और जहां सरकारें व जिला प्रशासन गांव-गांव तक सड़क सुविधा की बांद करता है वहीं आजादी के इतने वर्षो बांद भी इन गांवों के करीब 2000 हजार लोगों को आज भी सड़क सुविधा से वंछित रहना पड़ रहा है।

क्या कहते हैं ग्रामीण

इन गांववासियों का कहना था कि अगर गांव में किसी महिला का प्रसव होना होता है तो उसे अस्पताल तक पहुंचाने के लिए कंधों पर उठाकर ही सड़क सुविधा तक पहुंचाना पड़ता है। गांववासियों का कहना था कि वे इस समस्या को लेकर पहले भी कई बार प्रदेश सरकार के पूर्व मुख्यमंत्री व जिला प्रशासन को अवगत करवा चुके है, लेकिन आज दिन तक इस गांव को सड़क सुविधा से वंछित रहना पड़ रहा है। गांव के लोगों का कहना है कि वे इस समस्या को लेकर प्रदेश के प्रधानमंत्री को भी पत्र के माध्यम से अवगत करवाएंगे और उन्होंने जिला प्रशासन से भी मांग की है कि वे अपने स्तर पर इस गांव में सड़क सुविधा पहुंचाएं।

देश को आजाद करवाने के लिए शहीद हुए इस गांव के लोग

1971 के युद्ध में इस गांव के राम बहादुर पुन व टेक बहादुर थापा ने अपनी जान न्यौधावर कर दी थी और यहीं नहीं चांदमारी, कजलोट व साथ सटे अन्य गांवों से करीब दर्जन भर स्वतन्त्रता सैनानी इसी गांव के ताल्लुक रखते थे। ऐसे में आज देश की रक्षा के लिए तैनात आर्मी अपने ही वीर जवानों को सकड़ सुविधा से वंछित करना चाहती है। गांव के लोगों को कहना है कि देश की रक्षा के लिए हमारे गांव के वीर जवानों से अपनी जाने गवाई है और आज उन्हें मात्र सड़क सुविधा से भी वंचित रखा जा रहा है।