स्मार्ट शहर धर्मशाला में आज भी विकास के कई कार्य अधर में लटके पड़े हैं। शहरवासी पेयजल स्वच्छता जैसी बुनियादी सुविधाओं से भी महरूम हैं। वहीं, नगर निगम धर्मशाला ग्रांट्स के रूप में केंद्र और प्रदेश सरकार से मिला पैसा भी खर्च नहीं पा रहा है।
सदन की मासिक बैठक में दी गई जानकारी के अनुसार नगर निगम के पास 15वें वित्त आयोग के तहत केंद्र सरकार से वर्ष 2020-21 के लिए टाइड और अनटाइड सेक्शन के तहत कुल 14,37,20,491 रुपये की ग्रांट मिली, जबकि इसमें से 6,75,55,182 रुपये अभी भी नगर निगम खर्च नहीं कर पाया है। यह पैसा नगर निगम के खाते में पड़ा है, जबकि इस पैसे को खर्च कर शहरवासियों की कई समस्याएं खत्म करने के अलावा नई सुविधाएं दी जा सकती थीं। हैरानी इस बात की है कि नगर निगम का लगभग हर वार्ड पेयजल किल्लत से जूझ रहा है।
केंद्र से मिली ग्रांट के रूप में टाइड सेक्शन के तहत जो धनराशि मिली है, उसे पेयजल आपूर्ति और कुछ अन्य मदों के लिए ही खर्च किया जाना था। इस पैसे को भी नगर निगम नहीं खर्च पाया है। इस कारण लोगों को लगातार पेयजल संकट से जूझना पड़ रहा है। वहीं, वित्तीय वर्ष 2021-22 में 10,71,47, 288 रुपये की ग्रांट प्रदेश सरकार से मिली है। इस ग्रांट में से ही नगर निगम के वेतन दिए जाते हैं। इसमें से भी 3,13,50,700 रुपये बाकी बचे हुए हैं। वहीं, शुक्रवार को आयोजित बैठक के दौरान नगर निगम धर्मशाला में बिजली बिल पर लगने वाले सेस को बढ़ाने का प्रस्ताव पेश किया गया। इसे मौजूदा एक पैसा प्रति किलोवाट से बढ़ाकर तीन पैसे प्रति किलोवाट किए जाने का प्रस्ताव पारित किया गया।
इसके अलावा नगर निगम धर्मशाला में विभिन्न शराब की दुकानों पर बिकने वाली शराब पर एक रुपये प्रति बोतल के हिसाब से सेस वसूला जाता है। इस सेस को चार रुपये प्रति बोतल के हिसाब सेस वसूलने का प्रस्ताव पेश किया, जिसे सदन ने पारित कर दिया है। नगर निगम के सदन से मंजूरी के बाद यदि प्रदेश सरकार भी इन प्रस्तावों को मंजूरी दे देती है, तो इससे नगर निगम की कमाई में अच्छा खासा इजाफा होगा। हिमाचल प्रदेश सरकार की तर्ज पर नगर निगम कर्मचारियों को छह फीसदी डीए के भुगतान का एजेंडा अनुमोदन के लिए पेश किया गया।
इसके अलावा सीसीएस पेंशन रूल, 1971 के तहत न आने वाले हिमाचल सरकार के अनुसार नई पेंशन स्कीम के दायरे में लाने का प्रस्ताव पेश किया गया। इन दोनों ही प्रस्तावों पर सदन की अनुमति न मिलने के कारण फिलहाल ये दोनों ही मामले लटक गए हैं।