हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक तौर और कई इलाकों में व्यवसायिक तौर पर की जा रही भांग की खेती को नष्ट करने के लिए सरकार प्रतिवर्ष लाखों रुपए खर्च कर मुहिम चलाती है। लेकिन इसको लेकर जिला मंडी के सुंदरनगर में तस्वीर उलटी ही है। बेशक सरकारी तौर पर यहां भी भांग उखाड़ो अभियान चलता है, लेकिन इसका दूसरा पहलू भी है कि स्थानीय प्रशासन ही इसके प्रति उदासीन है।
आलम यह है कि सुंदरनगर के शहरी सहित ग्रामीण क्षेत्रों में सरेआम भांग की फसल लहलहा रही है। आलम यह है कि सुंदरनगर बीएसएल नहर के साथ वाली सड़क के किनारे और नीचे वाले क्षेत्र में भांग के हजारों पौधे मौजूद हैं। वहीं यही हाल सुंदरनगर के अन्य वार्डों में पाया जा रहा है और कई बीघा भूमि पर भांग के पौधे उगे हुए हैं।
बीबीएमबी प्रबंधन स्वच्छ भारत मिशन को सफल बनाने के लिए तो कई बड़े-बड़े दावे करता है, लेकिन इस प्रकार से बीएसएल जलाशय के साथ कई बीघा भूमि पर भांग की फसल लहलहाने से प्रबंधन की पोल खुल गई है।
वहीं बीएसएल जलाशय के साथ वाले सड़क मार्ग से विभिन्न स्कूलों के बच्चे और सुबह-शाम सैरसपाटे के लिए लोग आते हैं। लेकिन इस प्रकार से बीबीएमबी प्रबंधन द्वारा आंखें बंद कर बैठने से इनकी कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान खड़े हो गए हैं।
जिला मंडी में भांग की खेती को नष्ट करने के लिए प्रशासन सहित पुलिस विभाग,स्थानीय नगर परिषद व पंचायतें सालों से जुटे हुए है। सरकारी अमले की टीम जिला के दूरदराज इलाकों और ऊंची पहाडिय़ों तक पहुंचते हैं, लेकिन दूसरी तरफ प्रशासन की नजर अपने ही नाक के नीचे पनप रही भांग पर नहीं पड़ रही।
स्थानीय लोगों ने कहा कि प्रशासन द्वारा प्रतिवर्ष प्राकृतिक रूप से उगने वाली भांग के पौधों को शुरुआती समय नष्ट नहीं किया जाता है। उन्होंने कहा कि जब भांग के पौधे अपना पूर्ण आकार ले लेते तब प्रशासन खानापूर्ति के लिए अभियान चलाकर इसे नष्ट करती है। लेकिन भांग के पौधों से बीज इधर-उधर गिरने से दोबारा इसकी फसल लहलहा जाती है। उन्होंने प्रदेश सरकार और स्थानीय प्रशासन से जल्द से जल्द भांग के पौधों को नष्ट करने की मांग की है।
इधर, एसडीएम सुंदरनगर राहुल चौहान का कहना है कि मामला संज्ञान में आया है। सुंदरनगर के विभिन्न क्षेत्रों में उगी भांग को उखाडऩे के आदेश संबंधित विभागों और अधिकारियों को जारी कर दिए गए हैं। जल्द ही सभी क्षेत्रों की भांग मुक्त कर दिया जाएगा।