<p>हिमाचल हाईकोर्ट ने हिमुडा द्वारा टेंडर प्रक्रिया में बरती जा रही धांधलियों की जांच का जिम्मा पांच सदस्यीय कमेटी को सौंपा है। जांच कमेटी को अपनी रिपोर्ट आगामी चार सप्ताह के भीतर अदालत के समक्ष सील्ड कवर में दायर करने के आदेश भी दिए गए हैं। बता दें कि इस मामले में हिमुडा ने अपने स्तर पर ही जांच कमेटी गठित की थी। हाईकोर्ट ने हिमुडा द्वारा गठित की गई जांच कमेटी से असहमति जताते हुए हिमुडा के मुख्य कार्यकारी अधिकारी की अध्यक्षता वाली चार सदसीय कमेटी का गठन किया। इस कमेटी में भ्रष्टाचार निरोधक एवं सतर्कता विभाग के महानिरीक्षक के साथ लोक निर्माण विभाग और जल शक्ति विभाग के प्रमुख अभियंताओ को बतौर सदस्य बनाया गया है। </p>
<p>गौरतलब है कि 45 करोड़ रूपये की लागत से शिमला के विकासनगर में हिमुडा द्वारा प्रस्तावित कमर्शियल कम्प्लेक्स बनाए जाने के लिए निविदा प्रक्रिया में अनियमितताएं बरते जाने पर हाईकोर्ट ने ये कड़ा संज्ञान लिया है। आदेश में हिमुडा की कार्यप्रणाली पर कड़ी टिप्पणी करते हुए न्यायाधीश संदीप शर्मा ने कहा कि हिमुडा में सेवारत उच्च पदाधिकारियो द्वारा अपने चेहतों को फायदा पहुंचाने के लिए निविदा आवंटन में हेराफेरी और अनियमितताएं बरती हैं। जिससे प्रदेश के राजस्व को नुक्सान हुआ है। </p>
<p><span style=”color:#c0392b”><strong>क्या है पूरा मामला</strong></span></p>
<p>कोर्ट से तथ्य और मामले से जुडी जानकारी छुपाने पर न्यायाधीश संदीप शर्मा ने हिमुडा में सेवारत उच्च पदाधिकारियो की कार्यप्रणाली पर भी तल्ख टिप्पणी दर्ज की है। अदालत ने पाया कि वर्ष 2017 में हिमुडा द्वारा 45 करोड़ रूपये की लागत से शिमला के विकासनगर में प्रस्तावित कमर्शियल कम्प्लेक्स बनाए जाने के लिए ऑनलाइन निविदाये आमंत्रित की थी। इससे पहले भी हिमुडा ने शिमला के विकासनगर में हिमुडा द्वारा प्रस्तावित कमर्शियल कम्प्लेक्स बनाए जाने के लिए निविदाये अंतरित की थी। लेकिन पहले निविदा राशी लगभग 85 करोड़ रूपये थी। हिमुडा ने इस निविदा पर कोई कदम नहीं उठाया और इसे निरस्त करते हुए दोबारा से ऑनलाइन निविदाये आमंत्रित की। इस बार हिमुडा ने अपने चहेतों को फायदा पहुंचाने के लिए निविदा में कुछ जरुरी शर्ते हटा दी और वासु कंस्ट्रक्शन कम्पनी को कार्य आबंटित कर दिया।</p>
<p>प्रार्थी दलीप सिंह राठोर और अन्य द्वारा दायर याचिका की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने इस मामले से जुड़े रिकॉर्ड को तलब किया था। साथ ही अदालत ने हिमुडा के अधीक्षण अभियंता कि अध्यक्षता वाली कमेटी की रिपोर्ट का भी अवलोकन किया । टेंडर प्रक्रिया की जांच पर कमेटी ने रिपोर्ट दी थी कि इस टेंडर प्रक्रिया में धांधली हुई है। और अयोग्य उम्मीदवार को टेंडर आवंटित किया गया है। हिमुडा के उच्च अधिकारी ने अपने शपथपत्र के माध्यम से अदालत को बताया कि टेंडर का आवंटन हिमुडा के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के कहने पर किया गया। साथ ही हिमुडा के अधीक्षण अभियंता ने अदालत को शपथपत्र के माध्यम से बताया कि उसने इस मामले में पांच अलग अलग रिपोर्ट दी है, लेकिन अदालत के समक्ष किसी भी रिपोर्ट को पेश नहीं किया गया।</p>
<p>मामले से जुड़े तमाम रिकॉर्ड का अवलोकन करने के बाद अदालत ने पाया कि हिमुडा ने अपना पक्ष रखते समय अदालत से जरुरी जानकारी छुपाई है। न्यायाधीश संदीप शर्मा ने अपने आदेशो में स्पष्ट किया कि हिमुडा द्वारा टेंडर प्रक्रिया में की गई धांधलियो को उजागर करने के लिए कमेटी का गठन किया जाना जरुरी है ताकि आगामी टेंडर प्रक्रिया में धांधलियों को रोका जा सके। मामले कि आगामी सुनवाई 29 दिसंबर को निर्धारित की गई है।</p>
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