प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आखिर अटल टनल का उद्घाटन किया तो वहीं लाहौल घाटी के हजारों बुजुर्गों की आशाओं को भी नया जीवन दिया है। अटल टनल के बनने से लाहौल के बुजुर्गों में भी एक नई उम्मीद जगी है कि अब उन्हें भारी बर्फबारी के बीच कुल्लू आने के लिए नहीं तरसना होगा। अटल टनल जहां सामरिक दृष्टि से भी देश के लिए महत्वपूर्ण है वही लाहौल घाटी के हजारों लोगों के लिए भी इस साल बर्फबारी में यह जीवनदायिनी बनेगी। इससे पहले हर साल बर्फबारी के दौरान 6 माह के लिए रोहतांग दर्रा उनके लिए एक मुश्किल बन जाता था और दर्रे पर पड़ी बर्फ उनके लिए कारावास का काम करती थी।
अब टनल के बनने से लोगों को चिकित्सा के क्षेत्र में सबसे अधिक लाभ होगा। इससे पहले कई बुजुर्गों को समय पर चिकित्सा सुविधा नहीं मिल पाती थी जिसके चलते उनकी मौत हो जाती थी। अगर हेलीकॉप्टर की व्यवस्था भी हो जाए तो रोहतांग का खराब मौसम उड़ान में हर बार बाधा बन जाता था। लेकिन अब घाटी के लोग अपने परिजनों को तिल तिल मरता हुआ नहीं देख पाएंगे और अटल टनल के माध्यम से तुरंत स्वास्थ्य सुविधा के लिए वे कुल्लू या बाहरी राज्यों का रुख कर सकते हैं। लाहौल घाटी के रहने वाले बुजुर्गों का कहना है कि स्वास्थ्य सुविधाओं की किल्लत ही उन्हें हमेशा हर बार सबसे ज्यादा तंग करती थी। रोहतांग दर्रा पार ना कर पाने की कसक भी कई दशकों से उनके दिल में थी। लेकिन टनल के बनने से अब यह कसक दूर हुई है और वह सर्दियों में भी घाटी से बाहर जा सकेंगे।
गौर रहे कि लाहौल घाटी में बर्फबारी के दौरान बाहर निकलने का एकमात्र जरिया हेलीकॉप्टर ही था। लेकिन उसके बिजी शेड्यूल के चलते कई बार लोगों को हफ्तो उड़ान की सुविधा भी नहीं मिल पाती थी। अब टनल के बनने से लोग अपनी मर्जी से कभी भी घाटी से बाहर निकल सकते हैं।