केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट अफ़ेयर्स राज्यमंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने सीआईआई द्वारा डिजिटल और कैशलेस अर्थव्यवस्था पर आयोजित “भारत के डिजिटल भुगतान का भविष्य” कार्यक्रम को सम्बोधित किया। इस दौरान उन्होंने डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के माध्यम से कैश की बजाए डिजिटल लेन-देन विस्तार की दिशा में मोदी सरकार की नीतियों के बारे में बताया।
अनुराग ठाकुर ने कहा कि बतौर वित्त राज्यमंत्री मैंने आर्थिक नीति निर्धारण प्रक्रिया में ओपन ग्लास डोर पॉलिसी को अपनाया है।प्रत्येक नागरिक/संस्थानों/प्रतिष्ठानों को पूरा अधिकार है कि वो मुझे आर्थिकी विषय,संसोधनों पर अपना फ़ीडबैक और अपने सुझाव देने के लिए पूरी तरह स्वतंत्र हैं।
भारत एक तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था होने के साथ साथ एक बड़ा बाज़ार भी है। मोदी सरकार इस बाज़ारी लेन-देन प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाने के लिए कैश की बजाए डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के हर सम्भव प्रयास कर रही है। जिसके सार्थक परिणाम सबके सामने हैं। डायरेक्ट बेनिफ़िट ट्रांसफ़र(डीबीटी) और आधार-लिंक्ड पेमेंट्स (एएलपी) के माध्यम से मोदी सरकार ने मज़दूरी भुगतान में देरी को कम, भ्रष्टाचार पर अंकुश व सिस्टम में पारदर्शिता लाने का सफल प्रयास किया है।
आगे बोलते हुए अनुराग ठाकुर ने कहा कि वैश्विक परिदृश्य में भारत बहुत तेज़ी से काग़ज़ी करेंसी की बजाए डिजिटल करेंसी को अपना रहा है।डिजिटल भुगतान प्रणालियों की अखंडता और सुरक्षा में कुछ चुनौतियां आती हैं,जिसके निष्तारण के लिए सरकार और उद्योग जगत की भविष्य में भी आपसी साझेदारी रहेगी।
डिजिटल समावेश,डिजिटल सशक्तिकरण के माध्यम और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर की मदद से ज़रूरी सेवाओं को जन-जन तक पहुंचाने की दिशा में "डिजिटल इंडिया" प्रोग्राम एक सशक्त माध्यम है।और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के मार्गदर्शन में हम नीति निर्माण के लिए एक बहु-हितधारक दृष्टिकोण रखना जारी रखेंगे।मेरा आप सभी से अनुरोध है कि डिजिटल इंडिया से जुड़िये और ''न्यू इंडिया" निर्माण में भागीदार बनिए।