हमीरपुर ज़िला के बमसन ब्लॉक के सराहकड़ गांव में लोग खुद ही सड़क बनाकर नया श्मशान घाट बनाने में जुट गए हैं। दरअसल, जीवन की अंतिम यात्रा की क़रीब ढाई किलोमीटर लंबी ऊबड़-खाबड़ राह को देख ग्रामीणों ने यह फैसला लिया है। कलंझड़ी माता मंदिर के ठीक नीचे क़रीब चार मरले ज़मीन पर सड़क, पार्किंग, रैनशेड, बिजली एवं पानी की उपलब्धता के साथ सराहकड़ गांव के क़रीब 64 परिवारों ने अपने ख़र्च पर ही नया श्मशान घाट बनाने के लिए काम शुरू कर दिया है।
आबादी से दूर इस नए श्मशान घाट का नाम गोबिंद घाट रखा गया है। गोबिंद घाट के लिए चार मरले का खेत एनआईटी में तैनात सुरक्षा गार्ड सराहकड़ गांव के अजय कुमार रांगड़ा पुत्र जयकृष्ण ने दान किया है। इसके अलावा क़रीब साढ़े तीन लाख रुपए की राशि गांव के लोगों ने एकत्रित कर ली है।
यह थी समस्या
जीवन की अंतिम यात्रा को पूर्ण करवाने के लिए सराहकड़ गांव के लोगों को क़रीब ढाई किलोमीटर दूर कराड़ा में कटियारा गांव के श्मशान घाट तक जाना पड़ता है। यह रास्ता अत्यंत ऊबड़-खाबड़ है और अर्थी को ले जाने वालों के लिए भी जोखिम भरा है। इस समस्या को सराहकड़ गांव के अजय कुमार ने समझा और 64 परिवारों के आगे बात रखी। अजय द्वारा चार मरला ज़मीन दान की और अन्य लोगों ने लाखों रुपए इस पुण्य कार्य के लिए एकत्रित कर लिए।
ग्रामीणों ने सरकार या प्रशासन से इस काम के लिए एक भी पैसे की मदद न लेने का प्रण भी लिया है। अजय कुमार रांगड़ा ने बताया कि भूमि पूजन के साथ सड़क निर्माण का कार्य शुरू हो गया है। गांव के ही एक बुज़ुर्ग स्वर्गीय गोबिंदु पुत्र जोधा राम के नाम पर घाट कि नाम गोविंद घाट रखा गया है। यहां सड़क, पार्किंग, रैनशेड, बिजली एवं पानी की उपलब्धता रहेगी।