बिलासपुर में आयोजित पत्रकारवार्ता में हिमाचल मेडीकल ऑफिसर्ज एसोशिएशन बिलासपुर इकाई के अध्यक्ष डा. सतीश शर्मा और महासचिव डा. विजय राय ने बताया कि बीएमओ घुमारवीं का निलंबन न सिर्फ एक तरफा कार्यवाही है बल्कि इससे सरकार की तानाशाही का भी पता चलता है। क्योंकि 24 घंटे के भीतर निलंबन के आदेश शिकायतकर्ताओं के पास आना और अधिकृत कार्यालय पहुंचने से पहले ही आदेशों का वायरल होना दर्शाता है कि सचिवालय में सीएम से ज्यादा अन्य लोगों की पकड़ है।
उन्होंने कहा कि अधिकारी का काम अपने अधीनस्थ कर्मचारियों से काम लेना होता है। यदि वास्तव में उक्त कर्मचारी मानसिक प्रताडऩा का शिकार हो रहा था तो उच्चाधिकारियों को अवगत करवाता या पुलिस के पास शिकायत दर्ज करवाता। लेकिन 13 जून को शिकायत का होना और चंद घंटों में लोगों के व्हाटसएप पर बीएमओ घुमारवीं का निलंबन होना सरकारी तंत्र पर व्यक्तिगत रसूक के हावी होने को दर्शाता है।
सीएम को इस बारे में निष्पक्षता से जांच करवानी चाहिए ताकि सरकार की छवि को खराब करने वालों के चेहरे बेनकाब हो सके। इन पदाधिकारियों ने कहा कि यदि कोई शिकायत होती है तो पहले मामले की जांच की जाती है, तब कहीं जाकर कोई एक्शन लिया जाता है। लेकिन बीएमओ घुमारवीं को जिस प्रकार से दंडित किया गया है वह किसी प्रकार से तर्कसंगत नहीं है। संघ ने बीएमओ की बहाली की मांग की है।
वहीं, उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री का गृहक्षेत्र भी ऐसी घटनाओं से अछूता नहीं है। पीएचसी थाची जंजैहली (मंडी) में महिला चिकित्सक के साथ शराबी व्यक्ति द्वारा किया गया अभद्र व्यवहार किया गया लेकिन अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की गई है। उन्होंने कहा कि संघ महिला चिकित्सक के साथ खड़ा है। वहीं पश्चिम बंगाल में दो जूनियर चिकित्सकों पर कातिलाना हमले के मामले सरकार को कड़ा संज्ञान लेना चाहिए। चिकित्सकों की सुरक्षा की गारंटी प्राथमिकता के तौर पर होनी चाहिए। सोमवार को सभी चिकित्सकों ने काले बिल्ले लगाकर अपनी डियूटी निभाई