जिला मंडी के विधानसभा क्षेत्र धर्मपुर स्थित ऐतिहासिक कमलाह किला अपने अस्तिव की जंग लड़ रहा। उचित रखरखाव न होने के कारण किले का ऐतिहासिक सामान गायब है। किले तक पंहुचने के लिए बनी पौड़ियां और सुरक्षा रैलिंग खस्ताहाल में है। शौचालय तो बने हैं लेकिन नलों से पानी नही टपकता है। ठंडे पानी को लेकर लगाए गये वाटर कूलरों को पानी एवं बिजली का कनेक्शन न होने के कारण उन्हें जंग खा रहा है। लाखों रुपये खर्च कर लाई लोहे की चादरों का भी कोई इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है।
कमलाह किले को कमलाह रियासत का सबसे मजबूत और अजेय गढ़ माना जाता था लेकिन आज यह धरोहर सरकार और प्रशासन की अनदेखी के चलते अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। किले का भृमण करने के दौरान यहां के पुजारी और स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि ऐतिहासिक एवं धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थान को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने के लिए राज्य सरकार ने बहुत कम काम किया है।
जानकारी अनुसार कमलाह किला जिला मुख्यालय से करीब 100 किलोमीटर दूर समुद्र तल से4772 फिट ऊंची कमलाह पहाड़ी में स्थित है तथा हमीरपुर जिले के साथ सटा हुआ है। किला सिकन्दर धार की रेंज के तहत आता है। किले के ऊपरी भाग में कमलाहिया बाबा का मंदिर है।
स्थानीय लोंगो ने बताया की मंदिर का जीणोद्धार करने के लिये स्थानीय विधायक एवं आईपीएच मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर व उनके बेटे रजत ठाकुर अपनी निजी राशि खर्च कर सहयोग कर रहे है। कमलाह किला 17 वीं शताब्दी की संरचना है । इसका निर्माण 1625 में मंडी के राजा सूरज सेन ने किया था। महाराजा रणजीत सिंह ने 1830 में किले पर हमला किया। इसे 1840 में नष्ट कर दिया गया था लेकिन 1846 में मंडी के राजा ने इसका पुनर्निर्माण किया गया था।
किले में रानी की गुफ़ा के नाम से जानी जाने वाली गुफा को युद्ध के दौरान रानी को छिपाने के लिए बनाया गया था, जो अब जर्जर हालत में है। लेकिन, पिछले कुछ सालों से इसका प्रयोग बकरियों और भेड़ों को आश्रय देने के लिए किया जा रहा है। लोगों का कहना है कि किले को पर्यटन के उद्देश्य से विकसित किया जाता है, तो यह अपने ऐतिहासिक महत्व के कारण देश भर से बड़ी संख्या में लोगों को आकर्षित करेगा। लोगों की मांग है कि राज्य सरकार को इसे रोपवे सुविधा से जोड़ें।
आईपीएच मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर ने बताया कि कमलाह किले का जीर्णोद्धार व उसे पर्यटन की दृष्टि से विकसित किया जाएगा, जिसके लिए वह स्वयं प्रयासरत है, उन्होंने कहा कि पर्यटन विभाग को यह जिमेवारी दी गई है । किले को सड़क सुविधा से जोड़ दिया गया है और रोपवे सुविधा से जोड़ना सरकार के विचार में है।