छात्रों को पढ़ाने वाला राजकीय अध्यापक संघ दो फोड़ होने के बाद खुलकर एक दूसरे के ख़िलाफ़ मोर्चा खोले हुए है। एक गुट को वीरेंद्र चौहान को तो दूसरा गुट नरेश महाजन को संघ का प्रधान बना बैठा है। दोनों ही धड़े एक दूसरे के सामने झुकने को तैयार नहीं। शिक्षा विभाग नरेश महाजन के धड़े का समर्थन कर रहा है। शिक्षक छात्रों को पढ़ाने के बजाए आपस में उलझे हुए हैं ऐसे में देश के भविष्य माने जाने वाले छात्रों का भविष्य कैसा होगा इसका अंदाज़ा लगाया जा सकता है।
नरेश महाजन ने आरोप लगाया कि चौहान ने संघ को अपनी निज़ी कंपनी बनाकर रखा हुआ था। 2016 से 2019 तक चौहान के संगठन विरोधी फैसलों को भी प्रस्ताव पारित कर निरस्त कर दिया गया। वीरेंद्र चौहान को संगठन से बर्खास्त करने के प्रस्ताव के साथ ही प्रदेश सरकार और शिक्षा विभाग को यह सूचना देने का निर्णय लिया गया। मामला न्यायालय में भी विचाराधीन है। जिसमें कई तरह के सवाल उठाए गए है। कोर्ट इसकी भी जांच करे को 26000 सदस्य कैसे हो गए।
निवर्तमान अध्यक्ष वीरेंद्र चौहान को संगठन विरोधी गतिविधियों और अनुशासनहीनता के गंभीर आरोपों के चलते संगठन से 6 वर्ष के लिए बर्खास्त कर दिया गया है। उनकी संगठन से प्राथमिक सदस्यता भी रद्द कर दी गई है। उन्होंने बताया कि संघ आज मुख्यमंत्री से 15 सूत्रीय मांगों को लेकर मिलेगा।