प्रदेश के मुख्यमंत्री यूं ही नहीं ठेकेदारों पर भड़कते ओर अपने गुस्से को जनता के सामने उन्हें कोसते हैं। दरअसल, इनकी लापरवाही ही सरकार को कटघरे में ले आती है। बता दें कि संधोल सिंचाई उपमंडल के तहत सवा करोड़ की लागत से बन रही लसरणा पेयजल योजना के निर्माण जो पिछले 3 वर्षों से चल रहा है उसमें भी ऐसी ही लापरवाही सामने आई है। यंहा खड्ड में बिछाई गई पाइप लाइन के बन रहे ब्लॉक में सेट हो चुके सीमेंट को तोड़कर इस्तेमाल किया गया जो न जाने कब इन पाइप का साथ छोड़ देगा।
दरअसल शुक्रवार को सुबह कार्य शुरू हुआ तब ये सरकारी सीमेंट खड्ड में रख दिया। दर्जन भर बैग रखते ही बारिश शुरू हो गई और ये खुले में पड़ा सीमेंट पूरी तरह भीग कर खराब हो गया। जब रविवार को धूप खिलते ही जब काम शुरू किया तो बारिश से खराब हुए सीमेंट को तोड़कर इसी खड्ड से निकाली हुई बेकार बजरी में मिलाकर ये बलॉक बना दिए गए। इसी तरह करीब दो दर्जन सरकारी सीमेंट के बैग ठेकेदार विभाग के खराब कर चुका है।
अब ये सीमेंट कितने दिनों तक इन पाइप की सुरक्षा करेगा ये तो आने वाला समय ही बताएगा हालांकि इस कार्य को जून में पूरा होना था लेकिन प्रदेश में आचार सहिंता का समय भी नजदीक है लेकिन अभी ठेकेदार ने इसे विभाग को पूरा करके नहीं दिया है।
पेयजल की किल्लत से परेशान आधा दर्जन गांव के बाशिंदे कब तक इसका लाभ ले पाएंगे इसका जवाब न ठेकेदार के पास है और न ही विभाग के पास। वहीं, लाखों रुपये की इस योजना का सियासी फायदा लेने वाले भी महरूम हो गए हैं। जब अधिशाषी अभियंता यशपाल शर्मा से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि उन्हें इस मामले की जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा कि निर्माण कार्य में लापरवाही हुई है तो ठेकेदार से ही इसको बनवाया जाएगा।