निर्वासित तिब्बती समुदाय का आज से नव वर्ष यानी लोसर शुरू हो गया है। अगले तीन दिन तक चलने वाले लोसर के शुभ मौके पर मैक्लोडगंज और शिमला के मुख्य बौद्व मंदिर में पूजा-अर्चना की गई। जिसमें तिब्बती समुदाय ने भारी संख्या में भाग लिया। लोसर तिब्बती समुदाय का प्रमुख धार्मिक उत्सव है जिसे ये लोग उसी उल्लास से मनाते हैं। जिस तरह हिन्दू दीपावली या नव वर्ष को मनाते है उसी तर्ज पर लोसर मनाया जाता है। राजधानी शिमला स्थित दोरजे द्रक मठ में भी पूजा की गई।
लोसर के मौके पर केंद्रीय तिब्बती प्रशासन कार्यालय और यह तिब्बती संस्थान तीन दिन तक बंद रहेंगे। लोसर के दौरान मांस का सेवन पूरी तरह से वर्जित रहता है। तिब्बती कैलेंडर के अनुसार यह 2147वां वर्ष है और इसका शुभारंभ मेल आयरल माउस है। माना जाता है कि तिब्बती विशेष पूजा अर्चना कर ईष्टदेव से बुरी आत्माओं को दूर रखने और सुख समृद्धि की कामना करते हैं।