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हिमाचल में बड़ी भूकंप आने की संभावना, विभिन्न सोधों से हुआ खुलासा

पी. चंद. शिमला |

राजस्व व आपदा प्रबंधन के एक प्रवक्ता ने कहा कि विभिन्न शोधों से सामने आया है कि भविष्य में हिमालय के इस क्षेत्र में बड़ा भूकम्प आने की संभावना को नकारा नहीं जा सकता क्योंकि काफी समय से कोई बड़ा भूकम्प इस क्षेत्र में नहीं आया है।  उन्होने बताया कि अतीत में राज्य में कई भूकम्प दर्ज किए गए हैं और 1905 का कांगड़ा भूकम्प इतिहास में अब तक का सबसे शक्तिशाली दर्ज किया गया है जिसमें लगभग 20 हजार लोगों की जान गई और एक लाख से अधिक घर ढह गए। तब से राज्य में तीन मैग्निच्यूड के 297 भूकम्प दर्ज किए गए। वर्ष 1975 किन्नौर में आया भूकम्प प्रदेश के लिए एक और बढ़ा झटका था।

उन्होंने कहा कि भूकम्प कुछ क्षणों में समुचे समुदाय को नुकसान पहुंचा सकता है और बड़ी संख्या में लोग बेघर हो सकते हैं और उन्हें पालयन करना पड़ सकता है। हिमाचल प्रदेश सरकार विभिन्न कार्यक्रमों के द्वारा लोगों में प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए जागरूकता पैदा कर रही है और समय-समय पर चेतावनी भी जारी कर रही है और विशेषकर आम लोगों को भूकम्प रोधी आवास बनाने के लिए प्रेरित कर रही है। उन्होंने कहा कि लोगों को आपदाओं से निपटने के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए और इसके लिए आपदा किटस तैयार रखनी चाहिए जिसमें दवाईयां व खाद्य पदार्थ शामिल होने चाहिए। आपदा के समय संयम बनाए रखना चाहिए और सुरक्षित स्थानों पर आश्रय लेना चाहिए तथा टोल फ्री नम्बर 1077/1070/112 पर सहायता के लिए सम्पर्क करना चाहिए।

बता दें कि सोमवार को भी लाहौल-स्पीति में 4.3 की तीव्रता का भूकम्प मापा गया। भूकम्प का समय प्रातः 9 बजे था और इसकी गहराई 20 किलोमीटर थी। उन्होंने कहा कि राज्य में जनवरी, 2019 के बाद से 4.3 या इससे कम तीव्रता के 14 झटके महसूस किए गए है जिसमें से चम्बा जिला में छः बार, किन्नौर में तीन बार, मण्डी में दो बार, शिमला और कांगड़ा में एक-एक बार भूकम्प दर्ज किए गए है। इनमें से अधिकांश झटके 20 किलोमीटर की अधिकतम गहराई वाले थे।