हिमाचल की जेलों में सजा काटने के दौरान नौकरी और अन्य काम कर रहे कैदी 18 राज्यों सहित दो केंद्र शासित प्रदेशों के जेल के वरिष्ठ अधिकारियों से मन की बात की। शिमला में हिमाचल जेल विभाग और केंद्रीय गृह मंत्रालय के पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो के संयुक्त तत्वावधान में जेल अधिकारियों के लिए दो दिवसीय सेमिनार आयोजित किया गया। समापन अवसर पर मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे।
डीजीपी जेल सोमेश गोयल ने कहा कि प्रदेश के 80% फीसदी कैदी अनपढ़ से 12 वीं पास है और उनकी उम्र भी 18 से लेकर 50 साल के बीच है। 2016 तक 58 हजार कैदियों को स्किल डेवलपमेंट किया गया और 9 हजार कैदियों को कंप्यूटर की शिक्षा दी गयी। कैदियों के पुनर्वास के लिए कोई नीति निर्धारित नहीं है। 40 गुणा कमाई के साधन पिछले 6-7 सालों में प्रदेश के कैदियों के लिए बढ़ाए गए हैं। वंही, सोमेश गोयल ने शिमला बुक कैफ़े को निजी हाथों में न देने की मांग भी मुख्यमंत्री जयराम से की ताकि इसकी पहचान पहले की तरह ही बरकरार रहे। इस दौरान जेल उन्होंने विभाग की "कॉफी बुक टेबल" का विमोचन भी किया।
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि प्रदेश का जेल विभाग डीजीपी सोमेश गोयल के नेतृत्व में कैदियों के पुनर्स्थापन के लिए सराहनीय काम कर रहा है। कैदी भी समाज का हिस्सा है जो अधिकार आम आदमी के है वहीं अधिकार कैदियों के भी है। कैदी जिस वजह से भी जेल है उसका कैदी को भी अहसास होगा। ऐसी परिस्थिति में कैदियों को जिंदगी जीने का एक मौका दिया जाना चाहिए। कैदियों को प्रति समाज की एक अलग धारणा होती है जिसे बदलने की जरूरत है। हिमाचल कारागार विभाग इस दिशा में अच्छा काम कर रहा है।
इन्होंने कहा कि गलती किसी से भी हो सकती है कई बार अनजाने में भी अपराध हो जाता है जिसकी सजा लोगों को भुगतनी पड़ती है। जेल में जाने के बाद व्यक्ति अपनी जिंदगी को व्यर्थ मानने लग जाता है। हिमाचल प्रदेश में अन्य राज्यों की तुलना में कानून व्यवस्था और अपराध काफी कम है और कैदियों की संख्या भी कम है, लेकिन फिर भी जो कैदी जेल में है। कारागार विभाग उनके पुनर्वास के लिए बहुत काम कर रहा है। आम लोगों की धारणा पुलिस के प्रति काफी अलग होती है लेकिन पुलिस मानवीय दृष्टिकोण से कैदियों को समाज से जोड़ने का सराहनीय प्रयास कर रहा है।कारागार विभाग की पहल कैदियों को पुनर्स्थापित करने के लिएगेम चेंजर साबित हो रही है।