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कोरोना काल में जो शर्मनाक दृष्य भारत में दिखा वे पूरी दुनिया में कहीं नहीं : शांता कुमार

मृत्युंजय पूरी |

बीजेपी के वरिष्ठ नेता और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने कहा कि कोरोना माहामारी से प्रतिदिन बढ़ते रोगियों की संख्या और मरने वालों की संख्या बहुत अधिक दुखी करती है। लेकिन यह सोच कर की पूरी दुनिया इसे झेल रही है यह देखकर मन कुछ ठहर जाता है। आज पूरी दुनिया कोरोना के संकट को सह रही है, लेकिन कहीं किसी देश में वह शर्मनाक दृष्य नहीं है जो केवल भारत में है। सड़कों पर और स्टेश्न के बाहर गरीब और भूखें भारत का दृष्य… हजारों गरीब प्रवासी सिर पर सामान, गोद में बच्चे लेकर निराश-हताश, बदहवाश कहीं सड़कों पर पैदल चलते रेल की पटरी पर सोते और मरते स्टेशन पर घंटो इंतजार से परेशान कुछ ऐसे भी जो मकान छोड़ आये, रात हो गई जाएं तो जाएं कहां- टीवी पर ऐसे दृष्य देखकर शर्म ही नहीं आती दिल दिल ही नहीं दहलता, रूह भी छटपटाने लगती है। कानों में एक सवाल गूंजता है – क्या यही है वह भारत जिसके लिए लाखों शहीद हुए।

शांता कुमार ने कहा है कि फांसी के फंदे को चूमते समय कुछ शहीदों ने अंतिम इच्छा प्रकट की थी कि भारत आजाद हो और देश खुशहाल बने। दुर्भाग्य से 72 साल की आजादी के बाद एक खुशहाल भारत नहीं चार भारत बन गये। पहला लूटने वालों का मालामाल भारत – नीरव मोदी जैसे 65 लूटरे विदेशों में ऐश कर रहे हैं। दूसरा खुशहाल भारत -अपने महलों में आराम कर रहा है। तीसरा सामान्य भारत – संघर्ष में जीवन व्यतीत कर रहा है और चैथा गरीब और भूखा भारत।

उन्होने कहा कि कोरोना संकट ने भारत के विकास की रही-सही कलई भी खोल दी है। इसीलिए विश्व हंगर इन्डैक्स ने कहा था कि 19 करोड़ लोग आज भी लगभग भूखे पेट रात को सोते हैं। विश्व में सबसे अधिक गरीब और भूखे लोग भारत में रहते हैं। भारत में गरीबी की हालत यह हे कि गरीब प्रदेशों के अति गरीब घरों की बेटियां बेची व खरीदी जाती हैं। वेश्यालयों ओर विदेशों में भेजी जाती हैं। पिछले दिनों उड़ीसा की एक बेटी बिकते-बिकते हिमाचल पहुंच गई थी।

नेशनल एड्ज सगंठन के अनुसार भारत के वैश्यालयों में 6 लाख 40 हजार वेश्यायें हैं। इस सबका कारण गरीबी और केवल गरीबी है। यह एक कठोर और कड़वी सच्चाई है कि भारत में विकास हुआ पर सामाजिक न्याय नहीं हुआ। विकास के साथ आर्थिक विषमता भी बढ़ती गई। आज विश्व में सबसे अधिक आर्थिक विषमता भारत में है। इसीलिए जो शर्मनाक दृश्य भारत की सड़कों पर दिखाई दे रहा है वह दुनिया के किसी भी देश में नहीं है। इतना शर्मनाक है यह दृश्य कि कल सर्वोच्च न्यायालय ने भी स्वंय इसका संज्ञान लिया है।

शांता कुमार ने कहा है कि कोरोना के बाद स्थिति सामान्य होने पर भारत को प्रथम प्राथमिकता के आधार पर दो काम करने होंगे। जनसंख्या विस्फोट रोकने के लिए -”हम दो – हमारे दो और अब सबके भी दो।“ एक अलग अन्त्योदय मंत्रालय बना कर सबसे पहले इन 19 करोड़ अति गरीब लोगों को गरीबी रेखा से ऊपर लाना होगा।